गुरुवार, 15 जुलाई 2021

बनारस: प्लंबर हत्याकांड में लाठी और बंदूक के बल पर प्रशासन ने 28 घंटे बाद कराया शव का अंतिम संस्कार

मृतक कन्हैया लाल प्रजापति के परिजनों की मर्जी के खिलाफ प्रशासन ने हरिश्चंद्र घाट पर  कराया शव का दाह संस्कार। परिजन और ग्रामीण बुधवार को घर के सामने सड़क पर शव को रखकर हत्यारों की गिरफ्तारी, 50 लाख रुपये का मुआवजा, मृतक की पत्नी को सरकारी नौकरी, थाना प्रभारी और पुलिस अधीक्षक के निलंबन की कर रहे थे मांग। 

reported by SHIV DAS

वाराणसी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बनारस दौरे के चंद घंटों पहले जिला प्रशासन ने उनके संसदीय क्षेत्र के कराकतपुर गांव में अपना तानाशाही रवैया दिखाया। उसने बुधवार को लोहता थाना क्षेत्र के हिस्ट्री शीटर अखिलेश सिंह की गोली के शिकार प्लंबर कन्हैया लाल प्रजापति के शव का अंतिम संस्कार पुलिस की लाठी और बंदूक के बल पर परिजनों की मर्जी के खिलाफ कराया। इस दौरान पुलिस ने मौके पर मौजूद भागीदारी पार्टी (पी) के राष्ट्रीय महासचिव डॉ. महेश चंद्र प्रजापति और चंदौली लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र के पूर्व उम्मीदवार राम गोविंद प्रजापति समेत कुल छह लोगों को गिरफ्तार कर लिया। परिजनों संग ग्रामीण बुधवार को घर के सामने सड़क पर शव को रखकर हत्यारों की गिरफ्तारी, 50 लाख रुपये का मुआवजा, मृतक की पत्नी को सरकारी नौकरी, थाना प्रभारी और पुलिस अधीक्षक के निलंबन की मांग कर रहे थे। इस वजह से घटना के 28 घंटे बाद भी शव का अंतिम संस्कार नहीं हो पाया था। गत मंगलवार की सुबह करीब 9 बजे घटी घटना के करीब चार घंटे बाद बनारस पहुंचे मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के दौरे के बाद भी ना ही हत्यारों की गिरफ्तारी हुई थी और ना ही परिजनों को बतौर सहायता एक भी रुपया मिला था।

एसडीएम (सदर) और क्षेत्राधिकारी की मौजूद में जबरन शव को ले जाती पुलिस

लोहता थाना क्षेत्र के हिस्ट्री शीटर अखिलेश सिंह ने मंगलवार की सुबह करीब 9 बजे मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और उनकी कानून व्यवस्था को खुलेआम चुनौती दे डाली थी। बनारस में मुख्यमंत्री के पहुंचने से करीब चार घंटे पहले उसने लोहता थाना क्षेत्र के कराकतपुर गांव में दिनदहाड़े तैंतीस वर्षीय प्लंबर कन्हैयालाल प्रजापति की गोली मारकर हत्या कर दी और फरार हो गया था। 

बनारस में योगी आदित्यनाथ को हिस्ट्री शीटर की 'सलामी', दिनदहाड़े प्लम्बर की गोली मारकर हत्या

दिनदहाड़े हुए इस घटना से गुस्साए ग्रामीणों ने परिजनों संग वाराणसी-भदोही राज्यमार्ग जाम कर हत्यारों की तत्काल गिरफ्तारी की मांग की थी। इसके बाद लोहता थाना पुलिस ने मृतक के भाई दिलीप प्रजापति की तहरीर पर हिस्ट्री शीटर अखिलेश सिंह समेत छह लोगों के खिलाफ साजिश, हत्या और हत्या के प्रयास के आरोप में एफआईआर दर्ज की थी और 24 घंटे के अंदर हत्यारों की गिरफ्तारी की बात कही थी। मौके पर पहुंचे पुलिस अधीक्षक (ग्रामीण) अमित वर्मा ने हल्का प्रभारी अभिषेक कुमार राय को भी तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया था। इसके बाद मृतक के पिता श्याम नारायण प्रजापति के अनुरोध पर ग्रामीणों ने जाम खत्म किया था। 

मंगलवार की सुबह घटना के बाद वाराणसी-भदोही राज्यमार्ग जाम कर प्रदर्शन करते लोग

पुलिस प्रशासन ने मंगलवार की रात करीब 11 बजे परिजनों को पोस्टमार्टम के बाद कन्हैया लाल प्रजापति का शव सौंपा और रात में ही उसका अंतिम संस्कार करने का दबाव बनाने लगे। इससे गुस्साए ग्रामीणों ने कराकतपुर तिराहे पर वाराणसी-भदोही राज्य मार्ग जाम कर प्रदर्शन किया। प्रदर्शन में प्रजापति शोषित समाज संघर्ष समिति (पीएस4) के जिलाध्यक्ष शिव प्रसाद प्रजापति, प्रजापति स्वाभिमान एकता मंच के संस्थापक रुद्रेश प्रजापति और पूर्व छात्र नेता आरपी प्रजापति भी शामिल रहे। 

वाराणसी-भदोही मार्ग पर प्रदर्शन करते रुद्रेश प्रजापति, आरपी प्रजापति, शिव प्रसाद प्रजापति

घंटे भर चले प्रदर्शन के बाद पुलिस प्रशासन ने परिजनों को घर ले जाने के लिए शव सौंपा। परिजनों ने घर के सामने सड़क पर शव को रख दिया। बुधवार की अल-सुबह परिजनों संग ग्रामीणों ने हत्यारों की तत्काल गिरफ्तारी, 50 लाख रुपये का मुआवजा, मृतक की पत्नी को सरकारी नौकरी, थाना प्रभारी और पुलिस अधीक्षक के तत्काल निलंबन की मांग करने लगे और मांगे नहीं माने जाने तक शव का अंतिम संस्कार करने से मना कर दिया।

मौके पर मौजूद पीएस4 प्रमुख छेदी लाल निराला एवं मनीष शर्मा

कुछ देर बाद ही प्रजापति शोषित समाज संघर्ष समिति (पीएस4) के प्रमुख छेदीलाल निराला, करौता बाजार व्यापार मंडल के अध्यक्ष कन्हैया लाल प्रजापति, भागीदारी पार्टी (पी) के नेता और चंदौली लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र के पूर्व उम्मीदवार राम गोविंद प्रजापति, कम्युनिस्ट फोरम के मनीष शर्मा मौके पर पहुंच गए। परिजनों से मिलने के बाद उन्होंने परिजनों को सरकार से आर्थिक मदद और न्याय दिलाने का भरोसा दिलाया। 

मृतक कन्हैया लाल प्रजापति के घर के सामने पड़ा उनका शव

इसकी सूचना लगते ही जिला प्रशासन में हड़कंप मच गया। उसने तत्काल क्षेत्राधिकारी (सदर) और तहसीलदार (सदर) को मौके पर भेजा लेकिन परिजनों और ग्रामीणों से उनकी वार्ता विफल रही। तहसीलदार ने जिला प्रशासन की ओर से मृतक कन्हैया लाल की पत्नी माया प्रजापति के नाम से करीब सवा बिस्वा भूमि पट्टा करने और 'मुख्यमंत्री कृषक दुर्घटना कल्याण योजना' के तहत पांच लाख रुपये देने का आश्वासन दिया लेकिन परिजन और ग्रामीण इस पर तैयार नहीं हुए। उन्होंने प्रशासन की उक्त पेशकश को तत्काल अमल में लाने की बात कही जिससे उक्त अधिकारी पीछे हट गए। 

परिजनों और ग्रामीणों की ओर प्रशासन का दिया गया मांग-पत्र

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बनारस दौरे के मद्देनजर जिला प्रशासन ने भाजपा से जुड़े कुम्हार समुदाय के नेताओं को परिजनों को मनाने के लिए आगे कर दिया। नवनिर्वाचित जिला पंचायत अध्यक्ष पूनम मौर्या, विद्यापीठ-1 से जिला पंचायत सदस्य सरिता देवी के देवर और युवा भाजपा नेता आरपी प्रजापति आदि अपने लाव-लश्कर के साथ मौके पर पहुंचे और परिजनों को मनाने की कोशिश की लेकिन इसका कोई फायदा नहीं हुआ। इसके साथ ही पुलिस प्रशासन ने ग्रामीणों में फूट-डालने की रणनीति के तहत अपने आदमियों को लगा दिया। इसमें कई गांव के ही थे। 

जिला पंचायत अध्यक्ष पूनम मौर्या मृतक की पत्नी माया प्रजापति से बात करती हुई

कुछ देर बाद उप-जिलाधिकारी (सदर) मौके पर पहुंचे। उन्होंने मृतक के पिता श्याम नारायण प्रजापति और उनके बड़े भाई दिलीप प्रजापति से वार्ता की। उन्होंने उप-जिलाधिकारी (सदर) से साफ कहा कि जिला प्रशासन तत्काल उनकी मांगों पर अमल करे और जो भी पेश कर रही है उसे तत्काल उन्हें मुहैया कराए लेकिन उन्होंने पंद्रह दिनों में भूमि का पट्टा दिए जाने और तीन दिन बाद 'मुख्यमंत्री कृषक दुर्घटना कल्याण योजना' के तहत पांच लाख रुपये दिए जाने का आश्वासन दिया।

उप-जिलाधिकारी (सदर) मृतक के पिता श्याम नारायण प्रजापति से वार्ता करते हुए

जब 'वनांचल एक्सप्रेस' ने उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा जारी शासनादेश का हवाला देते हुए 'मुख्यमंत्री कृषक दुर्घटना कल्याण योजना' के तहत मृतक के पात्र नहीं होने पर उप-जिलाधिकारी (सदर) से सवाल किया तो वह उसे स्पष्ट नहीं कर पाए और शासनादेश के बिन्दुओं पर बात करने से मना कर दिया। करीब सवा बिस्वा भूमि के आवासीय पट्टा के संबंध में तत्काल पट्टा के कागजात पीड़ित परिवार को दिए जाने की बात उप-जिलाधिकारी (सदर) से की गई तो उन्होंने ऐसा करने से साफ मना कर दिया जबकि शासन के निर्देशानुसार डेढ़ बिस्वा आवासीय भूमि के पट्टे का अधिकार डिप्टी कलेक्टर के पास होता है। फिलहाल जिला प्रशासन ने अपने दोनों पेशकश को तत्काल मौके पर पूरा करने से इंकार कर दिया। फिर उप-जिलाधिकारी (सदर) मुख्यमंत्री और उच्चाधिकारियों से परिजनों की मांगों के संबंध में बात कर उन्हें अवगत कराने की बात कहकर वहां से चले गए। थोड़ी ही देर में भाजपा के नेता भी वहां से निकल लिए। कुछ देर बाद भागादारी पार्टी (पी) के राष्ट्रीय महासचिव डॉ. महेश चंद्र प्रजापति अपने लाव-लश्कर के साथ मौके पर पहुंचे और परिजनों से मिलकर उन्हें न्याय दिलाने का भरोसा दिलाया।

पुलिस छावनी में तब्दील मृतक कन्हैया लाल प्रजापति का द्वार

करीब एक बजे जिला प्रशासन ने मौके पर पुलिस बल की संख्या बढ़ा दी जो पूरी तरह से लाठी चार्ज के लिए तैयार थे। इसे देखते ही वहां हड़कंप मच गया। मृतक के पट्टीदारों में से एक अचानक वहां आकर मृतक के पिता को खींचते हुए अपने घर की ओर ले जाने लगा और हड़कंप मच गया। मौके का फायदा उठाते हुए उप-जिलाधिकारी (सदर) और क्षेत्राधिकारी की मौजूदगी में लोहता थाना प्रभारी विश्वनाथ प्रताप सिंह ने फोर्स की सहायता से भागादारी पार्टी (पी) के राष्ट्रीय महासचिव डॉ. महेश चंद्र प्रजापति और चंदौली लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र के पूर्व उम्मीदवार राम गोविंद प्रजापति समेत कुल छह लोगों को गिरफ्तार कर लिया। 

भागीदारी पार्टी (पी) के राष्ट्रीय महासचिव को गिरफ्तार कर ले जाती पुलिस

साथ ही पुलिस ने हल्का बल प्रयोग कर भीड़ को तीतर-बितर कर दिया और शव को अपने कब्जे में ले लिया। थाना प्रभारी विश्वनाथ प्रताप सिंह ने 'वनांचल एक्सप्रेस' के पत्रकार को घटना की फोटो खींचने से रोकने की कोशिश की लेकिन उसने उनकी धमकियों को नज़रअंदाज कर अपने कर्तव्यों को अंजाम दिया। 

परिजनों की सहमति नहीं होने के बावजूद जिला प्रशासन ने जबरदस्ती मृतक के घर से उसके शव को उठा लिया। मीडिया में गुडविल तैयार करने के लिए थाना प्रभारी विश्वनाथ प्रताप सिंह और प्रजापति स्वाभिमान एकता मंच के संस्थापक रुद्रेश प्रजापति ने शव को कंधा दिया। 

फिर सरकारी गाड़ी से शव को हरिश्चंद्र घाट पर लाकर असंतुष्ट परिजनों की मौजूदगी में उसका दाह संस्कार कराया। वहीं पुलिस प्रशासन ने मौके से गिरफ्तार डॉ. महेश चंद्र प्रजापति, राम गोविंद प्रजापति और उनके अन्य चार साथियों को पांच-पांच हजार रुपये के मुचलके पर रिहा किया। 

बता दें कि लोहता थाना में दर्ज प्राथमिकी के मुताबिक कराकतपुर गांव निवासी प्लम्बर कन्हैया लाल प्रजापति मंगलवार की सुबह करीब नौ बजे अपने मित्र इलियास के साथ घर से बाजार की ओर जा रहे थे। इसी बीच लोहता थाना का हिस्ट्री शीटर अखिलेश सिंह और उसके साथी शुभम सिंह ने कथित रूप से गांव स्थित इंग्लिश मीडियम कंपोजिट स्कूल के पास कन्हैया लाल प्रजापति पर ताबड़तोड़ गोलियां चलाकर उनकी हत्या कर दी थी। इसमें जंसा थाना क्षेत्र के बड़ौरा बाजार निवासी निजामुद्दीन का बेटा इलियास भी गंभीर रूप से घायल हो गया था। उसका इलाज ट्रामा सेंटर में चल रहा है। 

मृतक कन्हैयालाल के भाई दिलीप प्रजापति की तहरीर पर दर्ज एफआईआर में आरोप लगाया गया है कि कन्हैया लाल की हत्या एक साज़िश के तहत की गई है। इसमें गांव की प्रधान पुष्पा देवी के पति प्रमोद सिंह, कमलेश सिंह, मुकेश सिंह और शुभम सिंह का नाम शामिल है। उन्होंने आरोप लगाया है कि शुभम सिंह के ललकारने के बाद ही हिस्ट्री शीटर अखिलेश सिंह ने कन्हैया लाल प्रजापति को गोली मारी थी। फिलहाल पुलिस ने भारतीय दंड विधान की धारा-302 (हत्या), 307 (हत्या का प्रयास) और 120बी (साजिश) के तहत कुल छह लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की है। इसमें पांच लोग अखिलेश सिंह, शुभम सिंह, प्रमोद सिंह, कमलेश सिंह और मुकेश सिंह नामजद हैं जबकि एक अज्ञात है। फिलहाल मामले की जांच लोहता थाना प्रभारी विश्वनाथ प्रताप सिंह खुद कर रहे हैं लेकिन खबर लिखे जाने तक एक आरोपी की गिरफ्तारी हुई थी लेकिन मुख्य आरोपी और उसके साथी अभी भी फरार हैं। 

'मुख्यमंत्री कृषक दुर्घटना कल्याण योजना' के दायरे में नहीं आता मृतक कन्हैया लाल प्रजापति का परिवार

उत्तर प्रदेश की योगी सरकार की महत्वाकांक्षी 'मुख्यमंत्री कृषक दुर्घटना कल्याण योजना' के प्रावधानों के तहत मृतक कन्हैया लाल प्रजापति का परिवार पात्रता की श्रेणी को पूरा नहीं करता है। इसके बावजूद जिला प्रशासन पीड़ित परिवार को इस योजना के तहत पांच लाख रुपये की आर्थिक सहायता देने का आश्वासन देकर गुमराह करने की कोशिश करता रहा। प्लंबर कन्हैया लाल प्रजापति की मौत किसी प्राकृतिक दुर्घटना में नहीं हुई थी। उन्हें लोहता थाना क्षेत्र के चर्चित भूमिहार हिस्ट्री शीटर अखिलेश सिंह ने गोली मारी थी। इससे उनकी मौत हो गई थी। कन्हैया लाल प्रजापति के पिता श्याम नारायण प्रजापति के मुताबिक, मृतके कन्हैया लाल प्रजापति के नाम से एक धुर भी भूमि नहीं है और ना ही वह किसी भूमि में सह-खातेदार हैं। कन्हैया लाल प्रजापति के नाम किसी भूमि का पट्टा भी नहीं है और ना ही वह किसी किसान की भूमि पर बंटाईदार के रूप में खेती करते थे। वह खेतीहर मजदूर भी नहीं थे। 

उत्तर प्रदेश शासन की ओर से 28 फरवरी 2020 को जारी 'मुख्यमंत्री कृषक दुर्घटना कल्याण योजना' के शासनादेश के मुताबिक, राज्य के निवासी कृषकों का दुर्घटनावश मृत्यु अथवा दिव्यांग होना प्रमुख शर्त है। कृषक की परिभाषा में राजस्व अभिलेखों अर्थात खतौनी में दर्ज खातेदार या सह खातेदार या उनके परिवार के ऐसे कमाऊ सदस्य जिनकी आजीविका का मुख्य स्रोत खातेदार/सह-खातेदार के नाम दर्ज भूमि से होने वाली कृषि आय है। शासन ने ऐसे भूमिहीन व्यक्ति जो पट्टे से प्राप्त भूमि पर अथवा बटाई पर कृषि कार्य करते हैं तथा जिनकी जीविका का मुख्य साधन ऐसे पट्टे अथवा बटाई पर ली गई भूमि पर कृषि कार्य है, को भी इस योजना के तहत कृषक माना है। पट्टेदार के अंतर्गत असामी पट्टेदार, सरकारी पट्टेदार तथा निजी पट्टेदार सम्मिलित हैं। योजना की पात्रता के इन सभी शर्तों में मृतक कन्हैया लाल प्रजापति या उनका परिवार नहीं आता है। इसके बावजूद उप-जिलाधिकारी (सदर) और तहसीलदार (सदर) इस योजना के तहत पांच लाख रुपये की आर्थिक सहायता का कोरा एवं झूठा आश्वासन पीड़ित परिवार और ग्रामीणों को देते रहे। इसे स्वीकार नहीं करने पर उन्होंने पुलिस बल का प्रयोग कर शव का अंतिम संस्कार कर दिया। 

शासनादेश में साफ-साफ पट्टेदार अथवा बटाईदार के चिन्हांकन का प्रावधान लिखा है जिसके तहत भी मृतक या उसका परिवार 'मुख्यमंत्री कृषक दुर्घटना कल्याण योजना' की पात्रता को पूरा नहीं करता है और इसके बिना इस योजना का लाभ किसी को नहीं मिल सकता है। प्रशिक्षु आईएएस अधिकारी को बतौर उप-जिलाधिकारी (सदर) इस योजना का लाभ मृतक परिवार को दिलाने के लिए फर्जी दस्तावेज तैयार कराने पड़ते जो किसी भी रूप में ग्रामीणों के लिए संतुष्टिजनक नहीं था। शासनादेश में यह भी लिखा है कि कृषक की मृत्यु या दिव्यांगता यदि आत्महत्या या आपराधिक कार्य स्वयं करते समय होती है तो ऐसी दशा में उसे इस योजना का लाभ नहीं मिलेगा। 

अगर दुर्घटना की प्रकृति की बात करें तो उसमें कहीं भी गोली मारकर हत्या किए जाने का जिक्र नहीं है। शासनादेश के मुताबिक, आग लगने, बाढ़, बिजली गिरने, सांप के काटने, जीव-जन्तु/जानवर द्वारा काटने/मारने/आक्रमण से, समुद्र, नदी, झील, तालाब, पोखर एवं कुआं में डूबने, आंधी-तूफान, वृक्ष गिरने/दबने, मकान गिरने, रेल/रोड/वायुवान/अन्य वाहन आदि से दुर्घटना, भू-स्खलन, भूकंप, गैस-रिसाव, विस्फोट, सीवर चैंबर में गिरने अथवा अन्य किसी कारण से कृषक की मृत्यु या दिव्यांगता को दुर्घटना की श्रेणी में रखा गया है। फिलहाल दुर्घटना की प्रकृति के विवाद में जिलाधिकारी का निर्णय ही मान्य है लेकिन जिलाधिकारी भी मौके पर पहुंच कर इसे स्पष्ट नहीं कर पाए। 'मुख्यमंत्री कृषक दुर्घटना कल्याण योजना' का शासनादेश आप नीचे पढ़ सकते हैं-











1 टिप्पणी:

  1. आज देश मे भाई शिवदास जैसे पत्रकार की जरूरत है
    ताकि देश और समाज मे हो रहे अत्याचार पर अंकुश लगाया जा सके.
    आपको बहुत बहुत धन्यवाद.

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