मंगलवार, 15 दिसंबर 2020

मोदी सरकार के कृषि कानूनों के खिलाफ बनारस में किसानों, छात्रों और समाजसेवियों ने किया प्रदर्शन

ज्वाइंट एक्शन कमेटी, समाजवादी जनपरिषद, उत्तर प्रदेश किसान सभा, भारतीय किसान यूनियन, सर्व सेवा संघ, मनरेगा मजदूर यूनियन, महिला चेतना समिति आदि ने दिल्ली में धरनारत किसानों की मांगों को दिया समर्थन। 

वनांचल एक्सप्रेस ब्यूरो

वाराणसी। भाजपा की अगुआई वाली केंद्र की राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) सरकार के कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों समेत छात्रों और समाजसेवियों ने सोमवार को विभिन्न इलाकों में जमकर प्रदर्शन किया और मोदी सरकार के खिलाफ नारेबाजी की। साथ ही उन्होंने दिल्ली में आंदोलनरत किसानों के समर्थन में लोगों से अपने घरों से बाहर निकलकर समर्थन देने का आह्वान किया।


लंका स्थित सिंह द्वार के सामने जॉइंट एक्शन कमेटी (जेएसी) की अगुआई में छात्रों और बुद्धिजीवियों ने मोदी सरकार के तीन नये कृषि कानूनों के विरोध में प्रदर्शन किया। प्रदर्शन के दौरान वक्ताओं ने कहा कि मोदी सरकार के तीनों कानून किसान विरोधी हैं। मोदी सरकार द्वारा खेती-किसानी में अडानी-अम्बानी को घुसाने का यह कानून निंदनीय है। इस कानून से केवल किसानों का ही नहीं, बल्कि आमजनों का भी शोषण होगा। इन कानूनों के जरिए मोदी सरकार प्राइवेट कृषि मंडियों को बढ़ावा देने जा रही है जो किसानों की फसल को न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की गारंटी के बिना ही खरीदेंगे। वक्ताओं ने कहा कि पहले ही किसानों की अनेक समस्याएं थीं। इन्हें लेकर वे लगातार आंदोलन करते रहे हैं। यह कानून किसानों के समस्याओं को और बढ़ा देगा। आवश्यक वस्तुओं के भंडारण में छूट देकर मोदी सरकार पूंजीपतियों की मदद कर रही जो बड़े मुनाफे पर वस्तुओं को बेचेंगे। यह न सिर्फ किसानों के लिए परेशानी है बल्कि आम जन भी इस महंगाई से प्रभावित होगा। मोदी सरकार किसान के हितों को नज़रन्दाज़ करते हुए पूंजीपतियों की मदद कर रही है। प्रदर्शनकारियों में मुख्य रूप से धनंजय त्रिपाठी, दीपक सिंह , ओम शुक्ला पूर्व महानगर अध्यक्ष युवक कॉंग्रेस, अतुल यादव, रजत, विवेक कुमार सिंह, नीरज, राज, मुरारी, विवेक मिश्र,अंकित चौबे, ऋषभ पांडेय, आर्य भारत, ज़ियाउल हक़, मुकेश उपाध्याय, अतुल,  रोहित, शिवम,आशुतोष, साक्षी, हर्षिका, राजीव मौर्य, युवराज, नितेश सिंह यादव ,आकाश सिंह, विवेक कुमार आदि शामिल थे। 

वाराणसी स्थित शास्त्री घाट पर किसान आंदोलन के समर्थन में प्रदर्शन करते सजप के लोग

वहीं, वाराणसी के जिला मुख्यालय पर किसान आंदोलन की मांगों के समर्थन में विभिन्न संगठनों के कार्यकर्ताओं ने प्रदर्शन किया। उन्होंने खेती किसानी के संकट पर केंद्रित पोस्टर प्रदर्शनी भी लगाई। उत्तर प्रदेश किसान सभा के लोग पहले शास्त्री घाट स्थित धरना स्थल पर पहुंचे। वहां जिला प्रशासन और पुलिस महकमे के लोग उनसे ज्ञापन लेने के बाद उन्हें तितर-बितर कर देना चाहता थे लेकिन वहीं प्रदर्शन कर रहे समाजवादी जन परिषद (सजप) के कार्यकर्ताओं ने इसका जोरदार विरोध किया। सजप नेता चंचल मुखर्जी ने पुलिस प्रशासन के अधिकारियों से कहा कि हम आपके बंधुआ मजदूर नहीं है, इस कार्यक्रम का ऐलान राष्ट्रीय स्तर पर काफी पहले हुआ है। समाजवादी विचारक चौधरी राजेन्द्र ने कहा कि जिला मुख्यालय में सभा प्रदर्शन के लिए यह स्थान मुकर्रर है तथा यहां हमारी सभा होगी। इसके बाद उत्तर प्रदेश किसान सभा के श्यामलाल सिंह की अध्यक्षता में एक सभा हुई। 

जिला प्रशासन के प्रतिनिधि को ज्ञापन देते चौधरी राजेंद्र और मनीष शर्मा

सभा में वक्ताओं ने किसान विरोधी तीनों कानूनों को रद्द करने, न्यूनतम समर्थन मूल्य को वैधानिक दर्जा देने की किसान आंदोलन की मांग का समर्थन किया। वक्ताओं ने कहा कि देशी-विदेशी कॉरपोरेट घराने के हित साधने के लिए यह कानून अलोकतांत्रिक तरीके से लाए गए हैं। वक्ताओं ने देश की खेती पर गिद्ध दृष्टि लगाए उद्योगपतियों के उत्पादों के बहिष्कार की अपील की। धरना स्थल पर अखिल भारत सर्व सेवा संघ के नवनिर्वाचित पदाधिकारी भी समर्थन देने पहुंचे थे। सभा में मुख्यत: डॉ सुनील सहस्रबुद्धे,डॉ हीरालाल यादव, रामजी सिंह, अफलातून, रामनारायण सिंह, चौधरी राजेन्द्र, रामगोपाल, अमरनाथ भाई, चंदन पाल, सुगन बरण्ठ, लक्ष्मण मौर्य, शिवमूरत मास्टर,सुश्री चारु,संतोष कुमार आदि प्रमुख थे। कार्यक्रम में किसान सभा, समाजवादी जन परिषद, भारतीय किसान यूनियन, सर्व सेवा संघ, मनरेगा मजदूर यूनियन तथा महिला चेतना समिति के कार्यकर्ता शामिल थे।

दूसरी ओर विभिन्न राजनीतिक दलों और सामाजिक संगठनों के लोग जिला कचहरी पर पहुँच कर धरना प्रदर्शन के माध्यम से किसानों की मांगों के समर्थन में अपनी एकजुटता प्रदर्शित की। एक ओर जहाँ किसान संगठनों की ओर से वरुणा पल स्थित शास्त्री घाट पर धरना दिया गया ,वहीं दूसरी तरफ राजनीतिक दलों और सामाजिक संगठनों के लोगों ने अंबेडकर पार्क में धरना देकर किसान आंदोलन के देशव्यापी आह्वान को अपना समर्थन दिया। धरने का नेतृत्व पूर्व एम एल सी अरविंद सिंह , सीपीएम के प्रांतीय सचिव डॉ हीरालाल लाल यादव ने किया। 

धरने में शामिल होने वालों में प्रमुख रूप से समाजवादी नेता विजय नारायण , कुंवर सुरेश सिंह , कांग्रेस के प्रवीण सिंह बबलू , मजदूर नेता अजय मुखर्जी , देवाशीष भट्टाचार्य , सीपीआई के नेता विजय कुमार , माकपा के जिला सचिव नंद लाल पटेल,शिवनाथ ,संजीव सिंह, अमृत कुमार,कृपा वर्मा,प्रज्ञा पाठक,कमलेश यादव एवं गांधीवादी सामाजिक कार्यकर्ता डॉ मोहम्मद आरिफ समेत दर्जनों लोग शामिल रहे। धरने पर बैठे नेताओं ने सरकार और कारपोरेट घरानों की किसानों और मजदूरों के खिलाफ साजिश के खिलाफ जमकर नारे लगाए और तीनों कृषि बिल को काला कानून बताते हुए उन्हें तत्काल वापस लिए जाने की मांग की । धरना दे रहे लोगों ने आम जनता से अपील करते हुए कहा कि यह आंदोलन सिर्फ किसानों का नहीं बल्कि देश के 138 करोड़ लोगों के रोजी और रोटी से जुड़ा है । अगर ये कानून रद्द नहीं हुए तो देश के खाद्यान्न बाजार पर उद्योगपतियों का कब्जा हो जाएगा जिससे एक तरफ देश की खेती किसानी दमतोड़ देगी वहीं आमजन की रोटी खतरे में पड़ जाएगी । सार्वजनिक वितरण प्रणाली खत्म हो जाएगी , राशन की दुकानों से गरीबों का सस्ता गल्ला बन्द हो जाएगा । देश के चंद पूंजीपति बाजार को अपनी उंगलियों पर नचाना शुरू कर देंगे । इसलिए जानिए , समझिए , और उठिए , किसानों के साथ अपनी आवाज बुलंद करिए ।


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