मंगलवार, 15 दिसंबर 2020

ग्राम प्रधान ने नहीं सुनी फरियाद तो ग्रामीणों ने खुद बना लिया खड़ंजे का रास्ता

हर परिवार पर 100 रुपये के चंदे से इकट्ठा किए खड़ंजे की लागत, श्रमदान कर ग्रामीणों ने लिखा इतिहास। गांव की जातिगत राजनीति में फंसा था बदहाल करीब 100 मीटर रास्ते का निर्माण।  

reported by अच्छेलाल प्रजापति

मऊ। पूर्व केंद्रीय मंत्री और सांसद कल्पनाथ राय के कार्यों से पहचाने जाने वाले मऊ जनपद में देवखरी गांव के ग्राम प्रधान की उपेक्षा से परेशान ग्रामीणों ने पिछले दिनों आपसी चंदे और श्रमदान से करीब 100 मीटर लंबे रास्ते पर खड़ंजा बिछाकर खुद ही अपनी मुश्किलें हल करने की पहल की। त्रिस्तरीय पंचायत चुनावों के मद्देनजर उनके इस कार्यों की चर्चा आस-पास के गांवों में बड़े पैमाने पर हो रही है। लोग ग्राम प्रधान की दावेदारी करने वाले उम्मीदवारों पर उसका हवाला देकर सवाल खड़ा कर रहे हैं।    

चिरैयाकोट थाना से उत्तर-पूर्व में करीब तीन किलोमीटर दूर स्थित देवखरी गांव के लोग पिछले कई सालों से खस्ताहाल इस सड़क से उपजी दुश्वारियों का सामना कर रहे थे। लौटू पासवान के घर से हीरा कन्नौजिया के घर तक का करीब 100 मीटर लंबा रास्ता बरसात के दिनों में कीचड़ से पट जाता हो जाता है। इससे लोगों को भारी परेशानियों का सामना करना पड़ता था। इससे परेशान ग्रामीणों ने ग्राम प्रधान रामसुख राम से इसकी मरम्मत के लिए कई बार गुहार लगाई लेकिन उन्होंने उनकी एक न सुनीं। वे केवल आश्वासन देते रहे।

जर्जर मार्ग पर खड़ंजा बिछाने की तैयारी कर रहे ग्रामीण

ग्रामीणों का कहना है कि जब भी वे ग्राम प्रधान से खस्ताहाल सड़क पर मिट्टी डालने के लिए कहते तो उनका एक ही जवाब रहता-मिट्टी क्या इस पर खडंजा लगवा दूंगा। 

ग्रामीण बुलाकी प्रजापति का कहना है कि पिछले पांच सालों से हम लोग ग्राम प्रधान से एक ही जवाब सुनते आ रहे थे। इसलिए हम लोगों ने आपस में तय किया कि अब हम इसे खुद ही आपसी सहयोग से बनाएंगे। हम लोगों ने जो कार्य किया है, उसकी चर्चा पूरे ग्राम सभा के साथ साथ आसपास के गांवों में भी हो रही है। उन्होंने साफ कहा कि हम लोगों ने ग्राम प्रधान को जबाव दे दिया है और आऩे वाले पंचायत चुनाव में भी उन्हें ऐसा ही जवाब देंगे। वहीं, ग्रामीण सोहन लाल का मानना था कि वर्तमान सरकार के साथ-साथ ग्राम प्रधान भी जनता के लिए कुछ करने वाले नही हैं। इसलिए हमें ही मिलजुल कर जरूरी कार्यों को करना होगा। 

ग्रामीण रामजीत प्रजापति ने बताया कि जिस रास्ते पर हम लोगों ने खड़ंजा बिछाया है, उससे 50 से ज्यादा परिवारों को भारी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा था। इनमें कुम्हार समुदाय के 27 परिवार,  धोबी समुदाय के 13 परिवार,  पासी समुदाय के तीन परिवार और अहीर समुदाय के सात परिवार शामिल हैं। सभी परिवारों के लोगों ने सामुहिक श्रमदान किया। साथ ही प्रत्येक परिवार ने न्यूनतम 100 रुपये का चंदा भी दिया। इससे करीब 10 हजार रुपये इकट्ठा हुए। इन पैसों से हम लोगों ने मिट्टी, साइफन और ईंटों की व्यवस्था की। फिर पूरे रास्ते पर खड़ंजा बिछाकर अपनी परेशानियों को खत्म कर दिया। ग्राम प्रधान द्वारा रास्ते की मरम्मत नहीं कराने के बारे में पूछे जाने पर ग्रामीण रामजीत प्रजापति कहते हैं, "वर्तमान प्रधान को ऐसा लगता है कि इस मुहल्ले के लोगों ने उन्हें वोट नहीं दिया है। इसलिए वे इस मुहल्ले में कोई काम नहीं कराते हैं"। 

ग्रामीण राजेश यादव उर्फ रजई ने बताया कि अब पूरे पांच वर्ष पूरे होने को हैं। अभी तक न खड़ंजा लगा था और न ही जहां पानी जमता था, वहां मरम्मत हुई थी। उन्होंने बताया कि ग्राम प्रधान दलित समुदाय से हैं। गांव के ठाकुर लोग हम लोगों में फूट डालकर उनसे अपना काम करा रहे हैं। उनका कहना था कि ग्राम प्रधान का इसमें कोई दोष नहीं है। वह सीधे-साधे इंसान हैं। ठाकुर समुदाय के लोग इसका फायदा उठाकर हम लोगों को आपस में लड़ाकर आगामी चुनाव में खुद ग्राम-प्रधान बनना चाहते हैं। वह इस साजिश को समझ नहीं पा रहे हैं। 

ग्रामीणों के सामुहिक श्रमदान और चंदा से निर्मित खडंजा मार्ग

वहीं, ग्रामीण अवध प्रजापति ने बताया कि बाद में ठाकुर समुदाय के कुछ लोग सहयोग करने के लिए कहे थे लेकिन वहां काम कर रहे लोगों ने सामुहिक रूप से उनसे सहयोग की आवश्यकता नहीं होने की बात कहकर उनकी पेशकश को इंकार कर दिया। उन्होंने बताया कि मना करने के बाद भी उन्होंने आर्थिक सहयोग किया। उनका साफ कहना था कि अभिनव सिंह से प्रधानी के चुनाव को देखकर आर्थिक सहयोग किया है। उन्होंने सवाल किया कि अब तक वे कहां थे? ग्रामीणों का कहना था कि जिस रास्ते का आज निर्माण किया गया है, वह उस समय से टूटा हुआ था, जब आर्थिक सहयोग करने वाले अभिनव सिंह के चाचा राम विजय सिंह प्रधान हुआ करते थे। हालांकि ग्रामीणों ने यह भी बताया कि  जिस खड़ंजे की मरम्मत की गई है, उसे पूर्व प्रधान ने ही लगवाया था। उस समय भी ग्रामीणों ने निःशुल्क श्रमदान किया था।

ग्रामीणों से मिली जानकारी के मुताबिक, श्रमदान और आर्थिक सहयोग करने वाले ग्रामीणों में रामअवध, विजयनारायन, श्यामनारायन, गंगा, लौटू, पबारू, जवाहिर, अभिनव, रामयश, विन्ध्याचल, सर्वजीत, प्रभू, रामसकल, प्रकाश, रूपनरायन, दीप चन्द्र, प्रसाद, हीरा, दमडी, रम्पत, झंगटू, धनी,बेचन, लोचन, रामचंद्र, शोभा, शिवनंदन, मिठाई, गंगा, रामअवतार, सीताराम, मित्तल, कुमार, इन्द्रमणि, शिवदास, रामबृक्ष, मनोज, टिल्ठू, शीतल, अनिल आदि प्रमुख रूप से शामिल थे।


 

3 टिप्‍पणियां:

  1. सभी ग्रामवासियों को बहुत-बहुत बधाई, आप सभी लोगों से अनुरोध है वह इसका पूरा खर्च, कितना लागत हुआ और कहां-कहां हुआ। सबका एक प्रारूप दे कर के वहां के ग्रामवासियो के हस्ताक्षर सहित ब्लॉक प्रमुख को सौंप दें।
    और इसकी कॉपी एसडीएम, डीएम और सीएम को भी भेजिए।

    जवाब देंहटाएं
  2. कुछ ऐसे ही आयामों की पूरे देश को ज़रूरत है, जिससे लगे कि सत्ता के गलियारों में बैठे लोगों को दिखे कि यह देश सत्ता के गलियारों में बैठ कर नहीं, बल्कि जनतंत्र में जनता के बीच रह कर देश चलता है।

    जवाब देंहटाएं
  3. ग्रामीणों ने बहुत ही सराहनीय कार्य किया है। इसकी जीतनी भी प्रशंसा की जाय, कम है लेकिन शोषक कभी भी शोषण से मुक्त मुक्त नही होना चाहता है। यहां भी ग्रामीणों द्वारा निःशुल्क श्रमदान से अपनी थैली भर लेगा।

    जवाब देंहटाएं

Thank you for comment