शुक्रवार, 14 अगस्त 2020

BHU: प्रवेश परीक्षाओं को निरस्त करने की उठी मांग, कुलपति कार्यालय ने छात्रों का ज्ञापन लेने से किया इंकार

ज्वाइंट एक्शन कमेटी, बीएचयू ने गत 11 अगस्त को कुलपति को सौंपा था ज्ञापन

वनांचल एक्सप्रेस ब्यूरो

वाराणसी। कोरोना महामारी से उपजे संकट के हालात में काशी हिन्दू विश्वविद्यालय (BHU) में स्नातक और स्नातकोत्तर पाठ्यक्रमों की होने वाली प्रवेश परीक्षाओं को लेकर छात्रों को विरोध तेज हो गया है। पिछले दिनों ज्वाइंट एक्शन कमेटी (JAC) के ट्वीटर अभियान के बाद आज छात्रों का एक प्रतिनिधिमंडल विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. राकेश भटनागर को ज्ञापन देने केंद्रीय कार्यालय पहुंचा। कुलपति अनुपस्थित थे। छात्रों ने उनके अधीनस्थ कर्मचारियों को ज्ञापन देने की कोशिश की लेकिन उन्होंने उसे लेने से इंकार कर दिया। 

काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के शोध छात्र भूवाल यादव ने शुक्रवार को जारी प्रेस विज्ञप्ति में विश्वविद्यालय प्रशासन पर देश के साढ़े पांच लाख विद्यार्थियों और उनके परिवार को मौत के मुंह में झोंकने का आरोप लगाया है। उन्होंने प्रवेश परीक्षा को किसानों और मजदूरों के बच्चों को हक छीनने का हथकंडा करार दिया है। 

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प्रतिनिधिमंडल में शामिल छात्र सीपी शिरोमणि ने कहा कि इस कोरोना-काल में प्रवेश परीक्षा को सम्पन्न कराने का मतलब है, साढ़े पांच लाख बच्चों और उनके परिवार को मौत के मुंह झोंकना। बता दूं कि स्नातक और स्नातकोत्तर में नामांकन के लिए पांच लाख 25 हजार बच्चों ने आवेदन किया है। दूर-दराज से आने वाले छात्रों को कई तरह की समस्याओं का सामना करना पड़ता है। छात्र बलिराम ने बताया कि यह प्रवेश परीक्षा किसान, मजदूरों और जरुरतमंद अभिभावकों के बच्चों का हक छीनने का हथकंडा है। जो मां-बाप अपने नौनिहालों को दो जून की रोटी देने के लिए दुनिया भर की मशक्कत कर रहे हैं, वे परीक्षा देने जा रहे बच्चे को हजार-पंद्रह सौ रुपए कहां से लाकर देंगे? इसलिए हम सभी ने यह मांग की है कि कुलपति प्रवेश परीक्षाओं को तुरंत स्थगित करने  करे। उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार केवल कहने के लिए इन परीक्षाओं में कोरोना-आपदा प्रबंधन से संबंधित सभी प्रोटोकॉल का पालन कर रही है। सरकार के हरेक दावों की पोल गत 9 अगस्त को यूपी बीएड की सम्पन्न हुई प्रवेश परीक्षा के वायरल हुई फोटो और वीडियो से खुल गई। 

प्रदीप और सुबेदार यादव ने बताया कि बीएचयू प्रशासन द्वारा परीक्षा केंद्रों पर आने वाले परीक्षार्थियों से स्वेच्छा से परीक्षा देने के संदर्भ में 'सहमति पत्र' भरवाने की बात कही जा रही है। इस पत्र को भरवाने की जरूरत क्यों पड़ी? बीएचयू प्रशासन लिखित दे कि जो परीक्षार्थी परीक्षा में सम्मिलित नहीं होगा, उसकी प्रवेश परीक्षा बीएचयू प्रशासन बाद में सम्पन्न कराएगा। इस प्रकार छात्रों को 'सहमति पत्र' भी नहीं भरने पड़ेंगे और वे कोरोना-संक्रमित होने से भी बच जायेंगे। केवल परीक्षा देने वाले 5.25 लाख बच्चे ही नहीं, बल्कि उनका परिवार भी कोरोना-संक्रमित होने से बच जायेगा। 

बता दें कि काशी हिन्दू विश्वविद्यालय की स्थगित प्रवेश परीक्षाएं पुनः 24 अगस्त से दो चरणों में शुरू होने जा रही हैं। इसको स्थगित करने की मांग को लेकर पिछले दिनों ज्वाइंट एक्शन कमेटी बीएचयू ने ट्विटर अभियान चालाया था। वहीं बीएचयू में एम.ए. द्वितीय वर्ष के छात्र नीरज राय ने शनिवार को काशी हिंदू विश्वविद्यालय के छात्र अधिष्ठाता भवन पर अनिश्चितकालिन धरने पर अकेले बैठ गया। 

उसके द्वारा जारी प्रेस नोट में कहा गया कि "जॉइंट एक्शन कमिटी द्वारा गत 11 अगस्त को कुलपति को ज्ञापन सौंपा गया था। इसमें उसने 24 घण्टे की समय सीमा के भीतर गत 8 अगस्त को जारी हुई अधिसूचना, जिसमें 24 अगस्त से देश के सभी परीक्षा केन्द्रों पर स्नातक और स्नातकोत्तर पाठ्यक्रमों की प्रवेश परीक्षा कराने की बात कही थी, को निरस्त करने की मांग की गई है। तय सीमा समाप्त होने के बाद भी इस मामले को गंभीरता से न लिया जाना दुःखद है जो प्रशासन के इस मामले में बरती जा रही लापरवाही को दर्शाता है।

  

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