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गुरुवार, 21 जनवरी 2016

ROHIT VEMULA: शोधार्थियों का निलंबन वापस, बंडारू और वीसी की गिरफ्तारी को लेकर प्रदर्शन जारी


रोहित वेमुला की खुदकुशी के विरोध में विश्वविद्यालय के 15 में से 13 दलित फैकल्टी ने सभी प्रशासनिक पदों से दिया इस्तीफा

वनांचल न्यूज नेटवर्क

नई दिल्ली/हैदराबाद। हैदराबाद केंद्रीय विश्वविद्यालय के शोधार्थी रोहित वेमुला की खुदकुशी को लेकर देश के विभिन्न हिस्सों में हो रहे विरोध-प्रदर्शन और राजनीतिक प्रतिक्रिया से सकते में आई विश्वविद्यालय की कार्यकारी परिषद ने चार दलित शोधार्थियों का निलंबन वापस ले लिया है। हैदराबाद केंद्रीय विश्वविद्यालय की कार्यकारी परिषद ने गुरुवार को रोहित वेमुला के साथ निलंबित अन्य चार छात्रों का निलंबन रद्द कर दिया। परिषद ने यह फैसला विश्वविद्यालय में हो रहे विरोध प्रदर्शनों की बीच किया। विश्वविद्यालय की ओर से जारी बयान में कहा गया है कि विश्वविद्यालय में बने असाधारण हालात को देखने और मुद्दे पर विस्तार से चर्चा करने के बाद शोधार्थियों पर लगाए गए दंड को तत्काल प्रभाव से समाप्त कने का फैसला लिया गया है।

गौरतलब है कि पिछले साल अगस्त में रोहित सहित पांच दलित छात्रों को एबीवीपी के कार्यकर्ताओं से झड़प के बाद निलंबित कर दिया गया था। यह सब दिल्ली विश्वविद्यालय में 'मुजफ्फरनगर बाकी है' वृत्तचित्र की स्क्रीनिंग पर एबीवीपी के हमले के बाद शुरू हुआ था। दलित छात्रों ने एबीवीपी के इस कदम की निंदा करते हुए इसके विरोध में कैम्पस में प्रदर्शन किया था। इसके बाद इन छात्रों को हॉस्टल से दिसंबर में निकाल दिया गया। गत रविवार को इनमें से एक रोहित वेमुला ने खुदकुशी कर ली थी। इसे लेकर देश के विभिन्न हिस्सों में छात्र संगठनों समेत अन्य लोगों ने विरोध प्रदर्शन शुरू कर दिया। 

विश्वविद्यालय के एक दर्जन से ज्यादा दलित फैकल्टी ने आज केंद्रीय मानव संसाधन एवं विकास मंत्री स्मृति ईरानी के बयान को लेकर सभी प्रशासनिक पदों से इस्तीफा दे दिया। इनमें मुख्य चिकित्साधिकारी कैप्टन रविंद्र कुमर, परीक्षा नियंत्रक प्रो. वी. कृष्णा, मुख्य वार्डन डॉ. जी. नागाराजू और एक दर्जन अन्य फैकल्टी सदस्य शामिल हैं। इससे विश्वविद्यालय और दबाव में आ गया और उसने जल्द ही कार्यकारी परिषद की बैठक बुलाई। इसमें खुदकुशी करने वाले शोधार्थी रोहित वेमुला के चार साथियों का निलंबन वापस लेने का निर्णय लिया गया।  


ROHIT VEMULA: SC/ST फैकल्टी ने किया आंदोलन का समर्थन, 10 ने दिया इस्तीफा


प्रेस विज्ञप्ति में की स्मृति ईरानी के हालिया बयान की निंदा। प्रदर्शनकारियों के समर्थन में उतरे फैकल्टी के सदस्य।    

वनांचल न्यूज नेटवर्क

नई दिल्ली/हैदराबाद। हैदराबाद केंद्रीय विश्वविद्यालय के छब्बीस वर्षीय शोधार्थी रोहित वेमुला चक्रवर्ती की खुदकुशी के विरोध में हो रहे प्रदर्शनों के समर्थन में विश्वविद्यालय के एससी/एसटी वर्ग के शिक्षक भी कूद पड़े हैं। विभिन्न पदों पर कार्यरत करीब एक दर्जन प्रोफेसरों ने विश्वविद्यालय के सभी प्रशासनिक पदों से इस्तीफा दे दिया है। साथ ही उन्होंने प्रेस विज्ञप्ति जारी कर केंद्रीय मानव संसाधन एवं विकास मंत्री स्मृति ईरानी पर देश को गुमराह करने का आरोप लगाया है। उन्होंने विज्ञप्ति में ईरानी के उस वक्तव्य की कड़े शब्दों में निंदा की है जिसमें कहा गया है कि विश्वविद्यालय की दलित फैकल्टी उस जांच कमेटी का हिस्सा थी, जिसके आधार पर रोहित वेमुला और उसके अऩ्य चार साथियों के खिलाफ कार्रवाई की गई है। 


पत्रकारों से बाचतीत में विश्वविद्यालय के विद्यार्थी कल्याण के डीन और एससी/एसटी टीचर्स एवं ऑफिसर्स फोरम के सदस्य प्रकाश बाबू ने कहा, ''मंत्री राष्ट्र को गुमराह कर रही हैं। हम उस प्रशासन के अंतर्गत कार्य नहीं करेंगे जिसके कार्यकारी परिषद में विश्वविद्यालय की स्थापना से दलितों का प्रतिनिधित्व नहीं है।"

डॉ. रविन्द्र कुमार और एस. सुधाकर बाबू के हस्ताक्षर वाली प्रेस विज्ञप्ति में कहा गया है कि हम दलित फैकल्टी पूरी तरह से केंद्रीय मानव संसाधन एवं विकास मंत्री स्मृति ईरानी के उस बयान की निंदा करते हैं। हम उनके उस बयान पर आपत्ति हैं जो उन्होंने नई दिल्ली में गत 20 जनवरी को दोपहर करीब तीन बजे पत्रकार वार्ता के दौरान दिया था। प्रेस विज्ञप्ति में लिखा है, यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि केंद्रीय मंत्री ने मामले में तथ्यों को गलत ढंग से पेश किया और कहा कि विश्वविद्यालय के सबसे वरिष्ठ प्रोफेसर छात्रों के निलंबन का निर्णय लेने वाली कार्यकारी परिषद की उप-समिति के मुखिया थे। उस समिति के मुखिया उच्च वर्ग के प्रोफेसर विपिन श्रीवास्तव थे और कार्यकारी परिषद की उप-समिति में दलित वर्ग का कोई सदस्य नहीं था। यह एक संयोग है कि छात्र कल्याण के डीन दलित वर्ग से हैं और समिति के एक्स ऑफिसियों सदस्य के रूप में उन्हें शामिल किया गया। 

दलित प्रोफेसर्स एसोसिएशन ने कहा है कि 50 से 60 फैकल्टी सदस्य प्रशानिक पदों से इस्तीफा देंगे। रिलीज में कहा गया है कि इस मामले को गलत तरफ मोड़कर ईरानी खुद को और बंडारू दत्तात्रेय को रोहित वेमुला की मौत की जिम्मेदारी लेने से बचाने की कोशिश कर रही हैं। उन्होंने कहा था कि रोहित वेमुला के सुसाइड नोट में किसी अधिकारी या सांसद का नाम नहीं था। फैकल्टी ने रिलीज में कहा कि ये दुर्भाग्यपूर्ण है कि माननीय मंत्री जी ये कहते हुए देश को गुमराह कर रही हैं कि होस्टल वॉर्डन के पास छात्रों को निकालने का अधिकार है। प्रेस रिलीज में कहा गया कि, 'माननीय मंत्री जी के मनगढ़ंत बयानों के जवाब में हम दलित फैकल्टी और अधिकारी अपने पदों से इस्तीफा देंगे।' प्रेस रिलीज में कहा गया है कि दलित फैकल्टी प्रदर्शन कर रहे छात्रों के साथ है। उसमें लिखा है, 'हम रोहित वेमुला की मौत के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे छात्रों के साथ हैं और अपने छात्रों के निलंबन और उनके खिलाफ पुलिस में दर्ज सभी मामलों को वापस लेने की मांग करते हैं।

पिछले साल अगस्त में रोहित सहित पांच दलित छात्रों को एबीवीपी के कार्यकर्ताओं से झड़प के बाद निलंबित कर दिया गया था। यह सब दिल्ली विश्वविद्यालय में 'मुजफ्फरनगर बाकी है' वृत्तचित्र की स्क्रीनिंग पर एबीवीपी के हमले के बाद शुरू हुआ। दलित छात्रों ने एबीवीपी के इस कदम की निंदा करते हुए इसके विरोध में कैम्पस में प्रदर्शन किया था। इसके बाद इन छात्रों को हॉस्टल से दिसंबर में निकाल दिया गया था। गत रविवार को रोहित वेमुला ने खुदकुशी कर ली। 

ROHIT VEMULA: अनुसूचित जाति वर्ग से ही है रोहित

आंध्र प्रदेश के राजस्व विभाग की ओर से जारी प्रमाण-पत्र में रोहित वेमुला की जाति माला।

वनांचल न्यूज़ नेटवर्क

नई दिल्ली। हैदराबाद केंद्रीय विश्वविद्यालय के शोधार्थी रोहित वेमुला की खुदकुशी का मामला विश्वविद्यालय प्रशासन और केंद्र की सत्ताधारी भाजपा के लिए गले का फांस बन गया है। इससे बचने के लिए एक रोहित वेमुला की जाति पर सवाल खड़ा कर रहा है तो दूसरा अपने गैर-जिम्मेदार मंत्री की जाति उजागर कर अपनी कारस्तानियों पर मिट्टी डालने की कोशिश में जुटा है। हालांकि रोहित वेमुला का जाति प्रमाण-पत्र सामने आ गया है जिसमें साफ लिखा है कि वह अनुसूचित जाति वर्ग के तहत आता है।


आंध्र प्रदेश के राजस्व विभाग द्वारा पिछले साल 16 जून को जारी समुदाय एवं जन्म प्रमाण-पत्र में साफ लिखा है कि गुंटूर मंडल निवासी वेमुला रोहित चक्रवर्ती पुत्र श्री वेमुला नागा मणि कुमार माला समुदाय से है जिसे 1950 के भारतीय संविधान आदेश, 1956 के अनुसूचित जातियों/अनुसूचित जनजातियों (सुधार) की आदेश सूची एवं 1976 के अनुसूचित जनजातियों (सुधार) अधिनियम-1976 के तहत अनुसूचित जाति का दर्जा प्रदान किया गया है। प्रमाण-पत्र के अनुसार रोहित वेमुला की जन्म तिथि 30 जनवरी, 1980 है। गौरतलब है कि रोहित वेमुला की मां राधा वेमुला अनुसूचित जाति वर्ग की हैं और उच्चतम न्यायालय के आदेश के अनुसार अगर बच्चे का जन्म अनुसूचित जाति वर्ग या ऐसे माहौल में हुआ है तो उसे अनुसूचित जाति वर्ग का ही माना जाएगा। 

गौरतलब है कि पिछले साल जुलाई में अंबेडकर स्टूडेंट एसोसिएशन से जुड़े रोहित वेमुला चक्रवर्ती और उसके साथियों ने हैदराबाद केंद्रीय विश्वविद्यालय में 'मुजफ़्फ़रनगर अभी बाकी है' फिल्म का प्रदर्शन किया। इसके विरोध में एबीवीपी (एचसीयू) अध्यक्ष एन.सुशील कुमार ने फेसबुक पर उन्हें गुंडा कहा। बाद में उसने इसपर लिखित माफी मांगी लेकिन अगले दिन उसने रोहित और साथियों पर कथित तौर पर कमरे में हमला करने का आरोप लगाकर शिकायत दर्ज कराई। इसे शिकंदराबाद से सांसद और केंद्रीय श्रम राज्य मंत्री बंडारू दत्तात्रेय से भी किया। इसे संजीदगी से लेते हुए दत्तात्रेय ने केंद्रीय मानव संसाधन एवं विकास मंत्रालय को एक पत्र लिखा। इसमें उन्होंने अंबेडकर स्टूडेंट एसोसिएशन को जातिवादी, चरमपंथी और राष्ट्रवाद विरोधी राजनीति का गढ़ कहा। 

इसके बाद मंत्रालय ने सितंबर-अक्टूबर महीनों में छह सप्ताह के अंदर विश्वविद्यालय प्रशासन को पांच पत्र लिखे जिसमें उन्होंने रोहित और उसके साथियों पर कार्रवाई की रिपोर्ट मांगी। इसी दौरान सुशील की मां ने उच्च न्यायालय में याचिका दायर कर दी। इससे दबाव में आए विश्वविद्यालय प्रशासन ने रोहित और उसके साथियों को विश्वविद्यालय के हास्टल में रहने समेत अन्य किसी प्रकार की गैर-शैक्षिक गतिविधियों में शामिल होने पर रोक सगा दी। इसके बाद रोहित और उसके साथ निष्कासित अन्य चार शोधार्थी विश्वविद्यालय के बाहर टेंट लगाकर विरोध दर्ज कराने लगे। रविवार को रोहित ने व्यथित होकर हास्टल के कमरे में जाकर खुदकुशी कर ली थी। 

मंगलवार, 19 जनवरी 2016

ROHIT VEMULA (HCU): विरोध की ये 18 तस्वीरें खोल रही हैं दिल्ली पुलिस, सरकार और मीडिया की पोल


वनांचल न्यूज नेटवर्क
नई दिल्ली। अंबेडकर स्टूडेंट्स एसोसिएशन के सदस्य और हैदराबाद केंद्रीय विश्वविद्यालय के शोध छात्र रोहित वेमुला के उत्पीड़न और खुदकुशी के विरोध में सोमवार को बिरसा, अंबेडकर, फुले स्टूडेंट्स एसोसिएशन (बाफसा), आइसा, एसएफआई, केवाईएस, एआइएसएफ, डीएसएफ, अखिल भारतीय जाति विरोधी मोर्चा आदि विभिन्न छात्र-संगठनों के हजारों कार्यकर्ताओं ने मानव संसाधन विकास मंत्रालय के सामने जबरदस्त विरोध प्रदर्शन किया।