मंगलवार, 3 मई 2022

बनारस में शिक्षा का अधिकार कानून की उड़ी धज्जियां, BSA राकेश सिंह के खिलाफ जिला मुख्यालय पर प्रदर्शन

प्रदर्शनकारियों ने बेसिक शिक्षा अधिकारी पर लगाया निजी विद्यालयों की गैर-कानूनी गतिविधियों को संरक्षण देने का आरोप। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी में शिक्षा का अधिकार कानून की उड़ रही धज्जियां।

वनांचल एक्सप्रेस ब्यूरो

वाराणसी। भाजपा की योगी सरकार में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का संसदीय क्षेत्र वाराणसी शिक्षा माफियाओं के गढ़ के रूप में उभर रहा है। जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी राकेश सिंह की उदासीनता या यूं कहें कि बेसिक शिक्षा विभाग से मिल रहे संरक्षण में निजी विद्यालय शिक्षा का अधिकार कानून और बाल अधिकार संरक्षण कानून के तहत बने नियमों की जमकर धज्जियां उड़ा रहे हैं। इससे नाराज सामाजिक कार्यकर्ताओं और अभिभावकों ने सोमवार को जिला मुख्यालय पर प्रदर्शन किया और जिला प्रशासन के प्रतिनिधि एवं अपर न्यायिक मजिस्ट्रेट (चतुर्थ) को ज्ञापन सौंपा। ज्ञापन में प्रदर्शनकारियों ने शिक्षा का अधिकार कानून के तहत बने प्रावधानों के अनुपालन में बरती जा रही अनियमितताओं को दूर करने और निजी विद्यालयों में प्रवेश की प्रक्रिया को पारदर्शी बनाने की मांग की। 

प्रदर्शनकारियों के मुताबिक, सभी के लिए निःशुल्क एवं अनिवार्य शिक्षा का अधिकार अधिनियम-2009 की धारा-12(1)(ग) के तहत सभी निजी स्कूलों की 25 प्रतिशत सीटों पर गरीब एवं वंचित वर्ग के बच्चों को निःशुल्क शिक्षा देने की व्यवस्था की गई है लेकिन जिले के नामचीन निजी स्कूल इसके तहत गरीब बच्चों को प्रवेश नहीं दे रहे हैं। जिले में लगभग 1900 स्कूल हैं जबकि शिक्षा विभाग के पोर्टल पर महज 1200 विद्यालयों का आंकड़ा प्रदर्शित किया जा रहा है। इसमें जिला बेसिक शिक्षा विभाग के अधिकारियों की मिलीभगत सामने आ रही है। 

उन्होंने बताया कि शिक्षा का अधिकार कानून के तहत निःशुल्क शिक्षा के लिए जिला बेसिक शिक्षा विभाग की प्रथम चरण की लाटरी में 6,152 बच्चों के नामों की सूची जारी की गई थी। इनमें से करीब 10 प्रतिशत बच्चों को ही प्रवेश मिल पाया है। निजी विद्यालय बेसिक शिक्षा विभाग के नियमों की अनदेखी कर चयनित बच्चों को अपने विद्यालयों में प्रवेश नहीं दे रहे हैं। इसके बावजूद जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी राकेश सिंह और उनके मातहत अधिकारी निजी विद्यालयों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं कर रहे हैं जबकि इसकी लिखित शिकायत अभिभावक उनसे कर चुके हैं। जिला बेसिक शिक्षा विभाग के अधिकारियों से मिल रहे संरक्षण की वजह से सैकड़ों की संख्या में आवेदन-पत्र निरस्त किए जा चुके हैं। पिछले करीब तीन सालों से शुल्क प्रतिपूर्ति का भुगतान भी विद्यालयों और अभिभावकों को नहीं किया गया है। 

LKG में पांच साल के बच्चों का प्रवेश नहीं लेने पर NCPCR ने वाराणसी के जिलाधिकारी से मांगा जवाब

प्रदर्शनकारियों ने आरोप लगाया कि शिकायत करने पर बेसिक शिक्षा विभाग के अधिकारी एवं कर्मचारी अभिभावकों और शिकायतकर्ताओं से दुर्व्यवहार करते हैं। निजी विद्यालयों के संचालकों के खिलाफ कार्रवाई करने की जगह वे उनकी गैर-कानूनी गतिविधियों को संरक्षण देते हैं। गौतम सिंह, विनय कुमार, वल्लभाचार्य पाण्डेय, दीपक वर्मा, ईश्वर चन्द्र, गुफान जावेद, रौनक जायसवाल समेत दर्जनों प्रदर्शनकारियों ने आरोप लगाया कि जिला बेसिक शिक्षा विभाग शिक्षा माफियाओं और निजी विद्यालयों के संचालकों के प्रभाव में काम कर रहा है। इससे जिले में हजारों बच्चों का भविष्य अधर में लटक गया है। 

St. Mary's Convent School ने LKG में पांच वर्षीय बच्चों का प्रवेश लेने से किया इंकार, परिजनों ने गुमराह करने का लगाया आरोप

बता दें कि शैक्षिक सत्र-2022-23 के लिए प्रवेश प्रक्रिया चल रही है। जिले के निजी विद्यालय शिक्षा का अधिकार कानून और बाल अधिकार संरक्षण कानून के तहत बने प्रावधानों की धज्जियां उड़ाते हुए मनमाने ढंग से बच्चों का प्रवेश ले रहे हैं। वे बेसिक शिक्षा विभाग के नियमों के तहत प्रवेश प्रक्रिया में पारदर्शिता भी नहीं बरत रहे हैं। अभिभावकों को गुमराह कर बड़े पैमाने पर आर्थिक अपराध को अंजाम दे रहे हैं। अभिभावकों द्वारा सुबूतों के साथ शिकायत करने के बाद भी जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी राकेश सिंह और उनके मातहत अधिकारी निजी स्कूलों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं कर रहे हैं। उलट वे शिक्षा माफियाओं और निजी विद्यालय संचालकों को संरक्षण दे रहे हैं। ऐसे ही एक मामले में राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग ने वाराणसी के जिलाधिकारी से जांच रिपोर्ट और उस पर की गई कार्रवाई का ब्योरा तलब किया है। छावनी परिषद स्थित सेंट मेरी'ज कॉन्वेंट स्कूल ने पिछले दिनों एलकेजी में साढ़े चार साल के बच्चे का प्रवेश लेने से इंकार कर दिया था। बच्चे के अभिभावक शिव दास ने पहले मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के जनसुनवाई पोर्टल के माध्यम से जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी राकेश सिंह से शिकायत की लेकिन विभाग ने मामले में कारण बताओ नोटिस तक जारी नहीं किया। फिर उन्होंने राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग से मामले की शिकायत की। आयोग ने गत 30 अप्रैल को वाराणसी के जिलाधिकारी को पत्र लिखकर पत्र प्राप्ति के सात दिनों के अंदर जांच कर मामले में की गई कार्रवाई को प्रेषित करने का निर्देश दिया। करीब एक महीना बीत गया है लेकिन अभी तक जिलाधिकारी ने अपनी जांच रिपोर्ट आयोग को नहीं सौंपी है। निजी स्कूलों की मनमानी पर जिला प्रशासन की खामोशी ये बताने के लिए काफी है कि भाजपा की योगी सरकार में शिक्षा माफियाओं और नौकरशाहों का गठजोड़ वाराणसी में आम आदमी और बच्चों के अधिकारों पर भारी है।

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

Thank you for comment