बुधवार, 3 जनवरी 2018

भारत की पहली महिला शिक्षिका की जयंती पर वंचितों की शिक्षा और संघर्ष पर हुई चर्चा

वनांचल न्यूज़ नेटवर्क
वाराणसी। अनुसूचित जाति / जनजाति छात्र कार्यक्रम आयोजन समिति एवं हास्टल संघर्ष समिति ने आज संयुक्त रूप से सिवाला स्थित जगजीवनराम हास्टल में भारत की पहली महिला शिक्षिका माता सावित्रीबाई  फूले की 187वीं जयंती मनाई। इस मौके पर “ महिला सशक्तिकरण के योगदान में माता सावित्री बाई  फूले का योगदान “ विषय पर एक गोष्ठी का आयोजन किया गया। 

गोष्ठी में प्रो.महेश प्रसाद अहिरवार  ने कहा कि साबित्री बाई फूले शिक्षा के द्वारा वंचित जातियों को समाज के मुख्य धारा में लाने में सफल रहीं .उन्होंने अपने पति के साथ मिलकर विधवा पुनर्विवाह ,नारी शिक्षा ,कन्या ह्त्या प्रतिषेध एवं अछूतों को शिक्षा प्रदान करने का सफल आन्दोलन चलाया .  प्रतिभा गौतम ने भारतीय जीवन के सभी मोर्चों पर बुरे हालत में पड़ी आधी आबादी (महिला समाज ) को न्याय दिलाकर राष्ट्र निर्माण में महानतम योगदान दिया .  श्रीमती राज हिमाद्री ने सावित्री बाई  फूले के द्वारा जमीन पर चलाये गए आन्दोलन की सराहना करते हुए बताया कि वर्तमान बहुजन आन्दोलन को इसी पैटर्न पर आन्दोलन चलाने की सख्त जरुरत है . उपाध्यक्ष मदन लाल ने साबित्री बाई फूले के आन्दोलन के एजेंडों के महत्ता पर प्रकाश डालते हुए बताया की तत्कालीन ब्रिटिश सरकार को कन्या ह्त्या पर प्रतिबंध लगाना पडा . वरुण कुमार भाष्कर ने उन्नीसवीं शताब्दी में जातिप्रथा के निर्मूलन पर फूले दम्पति द्वारा चलाये गए  आन्दोलन की सार्थकता को समझते हुए बताया कि आधुनिक लोकतंत्र की स्थापना करने वाले डाक्टर अम्बेडकर ने फूले आन्दोलन से काफी कुछ नीतितत्व ग्रहण किया था . डाक्टर राहुल राज ने सावित्री बाई फूले के आन्दोलन की ऐतिहासिकता की दूरदर्शिता का महत्व बताते हुए कहा कि आजाद भारत में चलाये जा रहे  बहुजन आन्दोलन के अगुवा फुले दम्पति से प्रेरणा ग्रहण कर रहे हैं . कार्यक्रम का संचालन रवीन्द्र प्रकाश भारतीय  तथा धन्यवाद ज्ञापन भूपेंद्र कुमार ने किया. इस अवसर पर बच्चेलाल ,वीके .सहगल , प्रभात महान, चन्द्रभान , डाक्टर धीरज , पंकज ,उमेश , आदित्य , पिंटू ,सुभाष चन्द्र सक्सेना ,उपेन्द्र , बालगोबिंद ,मनोज , राजगुरु , सुनील ,अजित संतोष आदि उपस्थित रहे .

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