सोमवार, 9 अक्तूबर 2017

बहुजन नायकों के विचारों की गलत व्याख्या कर रही भाजपा

मान्यवर कांशीराम के परिनिर्वाण दिवस की पूर्व संध्या पर अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति छात्र कार्यक्रम आयोजन समिति की ओर से आयोजित गोष्ठी में वक्ताओं ने बहुजन आंदोलन की दशा और दिशाविषयक गोष्ठी में रखी अपनी बात।  
वनांचल एक्सप्रेस ब्यूरो
वाराणसी। आरएसएस और उसके राजनीतिक संगठन भाजपाके नेता बहुजन आंदोलन के नायकों की मूल रचनाओं पर अंकुश लगाकर युवाओं के सामने उसकी गलत व्याख्या पेश कर रहे हैं। इसके लिए उन्होंने विश्वविद्यालयों और महाविद्यालयों समेत विभिन्न शिक्षण संस्थाओं को अपना हथियार बनाया है। उनके इस मकसद में बहुजन समुदाय के कुछ सत्तालोलुप और मौकापरस्त लोग उनकी सहायता कर रहे हैं जिनसे हमें सतर्क रहना है। ऐसे लोग बहुजन आंदोलन को खत्म करना चाह रहे हैं लेकिन बहुजन नायकों के विचारों की तपिश में ऐसी ताकतें भस्म हो जाएंगी और बहुजन राज करेंगे।

ये बातें बहुजन विचारक एवं साहित्यकार तथा कार्यक्रम के मुख्य अतिथि मूल चंद सोनकर ने रविवार को स्थानीय केएन उडुप्पा सभागार में आयोजित बहुजन आंदोलन की दशा और दिशा विषयक संगोष्ठी में कही। काशी हिन्दू विश्वविद्यालय की अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति छात्र कार्यक्रम आयोजन समिति द्वारा आयोजित इस संगोष्ठी में उन्होंने कहा कि सत्ताधारी भारतीय जनता पार्टी आज सबसे ज्यादा बहुजन आंदोलन से डरी हुई है। इसलिए वह इस समुदाय के नायकों के विचारों पर अंकुश लगा रही है। उनके द्वारा रचित मूल मूल रचनाओं और पुस्तकों तक उन्हें पहुंचने नहीं दे रही है। वह सत्ता की शक्ति का इस्तेमाल कर शिक्षण संस्थाओं में बहुजन नायकों और उनके विचारों की गलत व्याख्या का प्रसार कर युवाओं को दिग्भ्रमित कर रही है। इसलिए जरूरी है कि आप बहुजन नायकों की मूल रचनाओं को पढ़ें, उनके विचारों से अवगत हों और सांप्रदायिक एवं सामंती ताकतों से उससे मुकाबला करें। ये विचार उन्हें चारों खाने चित कर देंगे। उन्होंने स्रोताओं से अपील की कि वे ज्यादा से ज्यादा वैकल्पिक पत्र और पत्रिकाओं को ही खरीदें और उनका अध्ययन करें। साथ ही उन्होंने लोगों से कॉर्पोरेट मीडिया के साथ शोषकों के प्रतिष्ठानों और उनके उत्पादों का वहिष्कार करने का अनुरोध किया।

कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि और उत्तर प्रदेश विधान परिषद के पूर्व सदस्य शिवबोध राम ने कहा कि ओबीसी हमारा विरोध अज्ञानता की वजह से करता है जबकि कुछ लोग जान बूझकर हमारा विरोध करते हैं। हमें मीडिया के माध्यम से गुमराह किया जा रहा है। मीडिया आज हमारे लड़कों को खराब कर रहा है। वे अंधविश्वास में डूबते जा रहे हैं जो बहुजन आंदोलन को खतरा पैदा कर सकता है। इसलिए जरूरी है कि बहुजन आंदोलन के साथ बहुजन मीडिया को मजबूत किया जाए। उन्होंने युवाओं से सामाजिक होने की अपील भी की। उन्होंने कहा कि जो व्यक्ति समाज के लिए काम करता है, उसे कोई हरा नहीं सकता है। वह एक दिन जरूर जीतेगा।

कार्यक्रम के मुख्य वक्ता प्रो. एमपी अहिरवार ने डॉ. भीमराव अंबेडकर और मान्यवर कांशीराम द्वारा शुरू किये गए बहुजन आंदोलन पर विस्तृत प्रकाश डाला। साथ ही उन्होंने सामाजिक न्याय के संघर्ष में उनकी भूमिका को रेखांकित किया।

कार्यक्रम की अध्यक्षीय उद्बोधन में प्रो. लाल चंद ने शिक्षण संस्थाओं में प्रतिनिधित्व के अधिकार के संघर्ष में आ रही दिक्कतों को लोगों से साझा किया। साथ ही उन्होंने लोगों से ब्राह्मणवादी ताकतों के आडंबरी संस्कारों के विरोध का आह्वाहन किया। उन्होंने कहा कि बहुजन नायकों के विचारों से ऐसी ताकतों का बखूबी सामना किया जा सकता है।

कार्यक्रम में डॉ. प्रमोद कुमार बांगड़े, डॉ. अमर नाथ पासवान, डॉ. डीके ओझा, शोध छात्र संदीप गौतम, कुमारी अनिता, रविंद्र प्रकाश भारतीय, अजय कुमार, नरेश राम आदि ने भी अपने विचार रखे। 

कार्यक्रम का संचालन सुनील कुमार, वीके सहगल और ज्योति सिंह मीणा ने संयुक्त रूप से किया। धन्यवाद ज्ञापन शोध छात्र बाल गोविंद सरोज ने दिया। कार्यक्रम में प्रमुख रूप से एसोसिएट प्रोफेसर प्रतिमा गोंड, प्रतिभा गौतम, वरुण कुमार भास्कर, बच्चेलाल, मनीष कुमार भारतीय, धनन्जय भारती, धीरज भारती, विकास राठौर, सुनील कश्यप, राजीव कुमार मौर्य, सुभम सुभाष अहाके, प्रिय शक्ति कुमार, चंद्रभान, रीना भारती मौजूद रहे। 

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