गुरुवार, 31 अगस्त 2017

ESIC: सात महीनों बाद भी पीएम के संसदीय क्षेत्र में लागू नहीं हुई नई ‘मातृत्व लाभ योजना’

कर्मचारी राज्य बीमा निगम की नियमावली को दरकिनार कर निगम के अधिकारी और कर्मचारी बीमित कर्मियों को कर रहे परेशान।
वनांचल एक्सप्रेस ब्यूरो
वाराणसी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की नई मातृत्व लाभ योजना उनके संसदीय क्षेत्र में ही दम तोड़ रही है। केंद्र सरकार के श्रम एवं रोजगार मंत्रालय से अधिसूचना जारी होने के सात महीनों बाद भी क्षेत्र की बीमित गर्भवती और प्रसूति महिलाओं को उसका लाभ नहीं मिल पा रहा है। कर्मचारी राज्य बीमा निगम (ईएसआईसी) के अधिकारी एवं कर्मचारी पहले इन महिलाओं को 12 सप्ताह के अवकाश का भुगतान कर अपने कर्तव्यों की इतिश्री कर ले रहे हैं जबकि नई मातृत्व लाभ योजना के तहत उन्हें 26 सप्ताह के अवकाश का भुगतान किया जाना है। इससे उन्हें भारी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है।
   
बता दें कि केंद्रीय श्रम एवं रोजगार मंत्रालय ने गत 20 जनवरी को अधिसूचना जारी कर कर्मचारी राज्य बीमा अधिनियम-1948 की धारा-95 की उप-धारा (1) के तहत कर्मचारी राज्य बीमा (केंद्रीय) नियम-1950 में संशोधन करते हुए मातृत्व लाभ के तहत मिलने वाले 12 सप्ताह के अवकाश को बढ़ाकर 26 सप्ताह कर दिया था। इस संबंध में कर्मचारी राज्य बीमा निगम ने गत 27 जनवरी को सर्कुलर जारी कर सभी अधिकारियों और कर्मचारियों को इसका अनुपालन सुनिश्चित करने का निर्देश भी दिया था। इसके बावजूद आज तक बीमित गर्भवती और प्रसूति महिलाओं को इसका लाभ नहीं मिल पा रहा है। कोई अधिकारी साफ्टवेयर अपटेड नहीं होने और ऑनलाइन पेमेंट ही करने की बात कहकर बीमित व्यक्तियों को टरका रहा है तो कोई मैन्यूअल तौर पर पेमेंट होने की बात कह कर अपना पल्ला झाड़ रहा है।

वाराणसी के आशीर्वाद नर्सिंग एवं पैरामेडिकल नर्सिंग इंस्टीट्यूट में कार्यरत संगीता प्रजापति कर्मचारी राज्य बीमा निगम की बीमित व्यक्ति हैं जिनकी आईपी संख्या-2810085102 है। उन्होंने गत 11 अप्रैल को मातृत्व अवकाश लिया और नियमावली के तहत उसकी धनराशि का भुगतान हर महीने करने का अनुरोध किया लेकिन जून के अंत तक ऐसा संभव नहीं हो पाया। उनका कहना है कि अधिकारियों ने साफ्टवेयर में परेशानी आने की बात कहकर पूरा भुगतान बच्चे के जन्म के बाद करने का आश्वासन दिया। संगीता प्रजापति ने बताया कि उन्हें 2 जून को बेटा पैदा हुआ। उसके बाद मैंने उसका जन्म प्रमाण-पत्र शाखा में जमा की। फिर जुलाई के पहले सप्ताह में जून तक के अवकाश की धनराशि भेजी गई और कहा गया कि आगे से हर महीने आपके बैंक खाते में शेष महीनों की धनराशि आ जाएगी। दो महीने गुजर चुके हैं लेकिन अभी तक बैंक खाते में कोई धनराशि नहीं आई है जिसकी वजह से आर्थिक परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है।

इस बाबत जब कर्मचारी राज्य बीमा निगम के शाखा प्रबंधक आलोक राय से बात की गई तो उन्होंने कहा कि निगम का भुगतान वाला साफ्टवेयर अभी अपडेट नहीं हुआ है। इस संबंध में मैं कई बार उच्चाधिकारियों को पत्र लिख चुका हूं लेकिन समस्या अभी बनी हुई है। चूंकि सभी प्रकार के अवकाश का भुगतान ऑनलाइन करना है, इसलिए हम लोग संशोधित मातृत्व अवकाश की धनराशि नहीं भेज पा रहे हैं।

इस संबंध में जब कर्मचारी राज्य बीमा निगम के राज्य निदेशक एपी त्रिपाठी से बात की गई तो उन्होंने किसी बीमित व्यक्ति के मातृत्व अवकाश का भुगतान नहीं रुकने की बात कही। उन्होंने कहा कि अधिसूचना और सर्कुलर जारी हो चुका है और उसके अनुसार भुगतान हो रहा है। साफ्टवेयर को अपडेट किया जा रहा है। जल्द ही लोगों के बैंक खातों में भुगतान होने लगेगा। हालांकि उन्होंने मैन्युअली सभी प्रकार के अवकाश का भुगतान करने की बात कही। जब उनसे ऐसा नहीं होने की बात कही गई तो उन्होंने कहा कि आप मेरे मेल पर स्पेसिफिक कंप्लेन दीजिए। मैं उसकी जांच करवाकर जल्द भुगतान किया जाएगा।


सवाल उठता है कि जब निगम ने सात महीना पहले ही इसे लागू करने का सर्कुलर जारी कर दिया तो अब तक निगम के अधिकारी एवं कर्मचारी निगम के साफ्टवेयर को क्यों नहीं दुरुस्त कर पाए। अगर साफ्टवेयर दुरुस्त नहीं हुआ तो बीमित मातृत्व अवकाश प्राप्त महिलाओं को मैनुअली भुगतान क्यों नहीं किया जा रहा है। दरअसल प्रधानमंत्री के संसदीय क्षेत्र में निगम और इससे संबंध अस्पतालों एवं डिस्पेंशरियों में अधिकारियों और कर्मचारियों का अपना नियम और कानून चलता है जिससे बीमित व्यक्ति सरकारी योजनाओं का लाभ नहीं ले पाता है या फिर वह शोषण का शिकार होता है।  

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