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गुरुवार, 15 अक्तूबर 2015

सोनभद्र में विस्फोट, आठ की मौत, सात घायल

रासपहरी खनन क्षेत्र में हुए विस्फोट की तस्वीर
पत्थर की खदान के मैगजीन रूम में हुआ विस्फोट। खान निदेशालय ने जिलाधिकारी से मांगी रिपोर्ट।

वनांचल न्यूज नेटवर्क

ओबरा (सोनभद्र)/लखनऊ। स्थानीय थाना क्षेत्र अंतर्गत रासपहरी पहाड़ी स्थित एक खदान के मैगजीन रूम (विस्फोटक रखने का कमरा) में गुरुवार को जबरदस्त धमाका हुआ। इसमें दो बालकों समेत आठ लोगों की मौत हो गई। साथ ही सात अन्य लोग गंभीर रूप से घायल हो गए। घायलों का इलाज ओबरा तापीय परियोजना अस्पताल में हो रहा है। जिलाधिकारी ने मामले की मजिस्ट्रेट जांच समेत तकनीकी जांच का आदेश जारी कर दिया है। उधर, खान निदेशालय ने जिलाधिकारी से पूरे घटनाक्रम की रिपोर्ट मांगी है। अवैध खनन का खूनी खेलः जिम्मेदार कौन?

विभागीय अधिकारियों समेत क्षेत्रीय लोगों से मिली जानकारी के मुताबिक बिल्ली-मारकुंडी खनन क्षेत्र में रासपहरी पहाड़ी अंतर्गत अराजी संख्या-5593क की दो एकड़ भूमि में चोपन रोड निवासी विजया कीर्ति के स्वामित्व वाली फर्म मे. आशीष इंटरप्राइजेज के नाम से खनन पट्टा स्वीकृत है। इसकी मियाद 4 जुलाई 2019 तक है। स्थानीय लोगों समेत जिला खान विभाग के एक खनन सर्वेक्षक की मानें तो इस खदान का संचालन अभिषेक सिंह उर्फ काके सिंह नामक व्यक्ति करता है जो विजया कीर्ति का बेटा है। जिलाधिकारी जीएस प्रियदर्शी के मुताबिक खदान की सीमा की दक्षिणी तरफ करीब 25 मीटर दूर मे. आशीष इंटर प्राइजेज का गोदाम (मैगजीन रूम) था जहां अमोनियम नाइट्रेट और जिलेटीन रॉड जैसे विस्फोटक रखा जाता था। इन विस्फोटकों की आपूर्त डाला स्थित सन इंटरप्राइजेज नामक फर्म करती है। पास में ही मजदूरों का अस्थाई आवास भी है। गुरुवार दोपहर दो बजे मजदूरों ने देखा कि मैगजीन रूम से धुआं निकल रहा है। तीन मजदूर विस्फोटक को निकालने के लिए गोदाम के दरवाजे का ताड़ा तोड़ने लगे। तभी विस्फोट हो गया। विस्फोट की चपेट में आने से दो बालकों समेत आठ मजदूरों की मौत हो गई। सात अन्य घायल हो गए। ओबरा तापीय परियोजना अस्पताल में उनका इलाज हो रहा है। इनमें कई की हालत गंभीर है। 

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घटना की जानकारी मिलते ही पुलिस और आलाधिकारी मौके पर पहुंचे लेकिन अन्य विस्फोट होने की आशंका से वे बचाव कार्य में जुट नहीं पाए। करीब दो घंटे बाद प्रशासनिक अधिकारी और कर्मचारी बचाव कार्य में लगे। तब तक जिलाधिकारी समेत अन्य आलाधिकारी भी मौके पर पहुंच गए। धीरे-धीरे शवों का बाहर निकाला गया और घायलों को इलाज के लिए अस्पताल भेजा गया। 

जानकारी के मुताबकि मृतकों में बभनी थाना क्षेत्र के सगोढ़ा गांव निवासी सूरज लाल, जीत सिंह और राम नारायण का नाम शामिल है। इनके अलावा विनोद, छोटू और ज्वाला समेत एक आठ वर्षीय बालक के मरने की बात कही जा रही है। हालांकि वे कहां के हैं, इसका पता नहीं चल पाया है। घटना में झारखंड के गढ़वा के देवरा गांव निवासी छोटेलाल, देव लाल, संतोष, बद्री, बबुंदर, सोनभद्र के बभनी थाना अंतर्गत गभरी निवासी प्रताप नारायण और अमरनाथ एवं लक्ष्मनधारी बैगा गंभीर रूप से घायल हो गए हैं। उनका इलाज ओबरा तापीय परियोजना अस्पताल में हो रहा है।   

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उधर, जिलाधिकारी जीएस प्रियदर्शी ने उक्त घटना की मजिस्ट्रेट जांच और तकनीकी जांच के आदेश दे दिये हैं। विस्फोटकों से संबंधित मामले में जांच डीआईजी, मिर्जापुर करेंगे। वहीं लखनऊ से मिली जानकारी के मुताबिक खान निदेशालय ने जिलाधिकारी, सोनभद्र से घटना की रिपोर्ट तलब की है। बता दें कि वर्ष 2012 में 27 फरवरी की शाम ओबरा थाना क्षेत्र के बिल्ली-मारकुंडी खनन क्षेत्र स्थित एक पत्थर की खदान धंसने से 10 मजदूरों की मौत हो गई थी और अन्य कई गंभीर रूप से घायल हो हुए थे। इसके बावजूद मृतकों के परिजनों को जिला प्रशासन की तरफ से फूटी कौड़ी तक मुआवजा नहीं मिला। मुख्य विकास अधिकारी की जांच भी मजदूरों और मृतक परिजनों के जख्मों पर मरहम नहीं लगा सकी। मृतक मजदूरों के परिजनों को मिलने वाला न्याय खनन माफियाओं, भ्रष्ट नौकरशाहों और तथाकथित जनप्रतिनिधियों की सांठगांठ के आगे दम तोड़ दिया।  

          जिला प्रशासन द्वारा जारी मृतकों और घायलों की सूची 
मृतकों के नाम और पतेः 
(1) सूरत लाल पुत्र जोधी लाल, निवासी गांव- घघरी, थाना-बभनी।
(2) रामायन सिंह पुत्र राम लाल, निवासी गांव घघरी, थाना-बभनी
(3) जीत सिंह पुत्र मोती लाल, निवासी गांव-घघरी, थाना बभनी।
(4) ज्वाला पुत्र सुग्रीव, निवासी गांव कोटा, थाना-चोपन।
(5) विनोद पुत्र रामधनी, निवासी गांव-खैरटिया, थाना-ओबरा। 
(6) राजेश कुमार गुप्ता पुत्र विश्वनाथ गुप्ता, निवासी- वार्ड- चार, थाना- घोरावल
नोटः दो शवों की शिनाख्त नहीं हो पाई है...

घायलों के नाम और पतेः 
(1) अनरसा पुत्र मोतीलाल, निवासी- गांव घघरी, थाना- बभनी।
(2) प्रताप नारायण पुत्र जद्दू लाल, निवासी घघरी, थाना-बभनी।
(3) बद्री केवट पुत्र भागीरथी, निवासी गांव-देवरा, थाना-महुअरिया, जिला-सिंगरौली, राज्य-मध्य प्रदेश
(4) संतोष कुमार पुत्र खेलावन, निवासी गांव-देवरा, थाना-महुअरिया, जिला-सिंगरौली, राज्य-मध्य प्रदेश
(5) छोटेलाल पुत्र शिव दास, निवासी गांव-देवरा, थाना-महुअरिया, जिला-सिंगरौली, राज्य-मध्य प्रदेश
(6) देवलाल पुत्र बाबा गौड़, निवासी गांव-देवरा, थाना-महुअरिया, जिला-सिंगरौली, राज्य-मध्य प्रदेश

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शुक्रवार, 13 फ़रवरी 2015

‘गरीबी और मौत’ का खनन

देश के हर हिस्से में खनिजों का दोहन हो रहा है। कहीं बहुराष्ट्रीय कंपनियां दोहन कर रही हैं तो कहीं खनन माफिया। सबसे खतरनाक स्थिति यह है कि जनसेवा और समाजसेवा के नाम की दुहाई देकर संवैधानिक पद हथियाने वाले भी शामिल हो गए हैं। नतीजतन देश के विभिन्न हिस्सों, खासकर जंगल और पहाड़ों, में पर्यावरण संरक्षण और सुरक्षा के प्रावधानों का उल्लंघन बड़े पैमाने पर हो रहा है। संवैधानिक पदों पर बैठे राजनेता और नौकरशाह, दोनों आम आदमी के हितों को नजरअंदाज कर अपने आकाओं और अपनी झोली भरने में लगे हैं। 

इसका नतीजा यह हुआ है कि खनन क्षेत्र में काम करने वाले मजदूरों को ना ही उनका हक मिल पा रहा है और ना ही न्याय। भारतीय संविधान में प्रदत्त अधिकारों की बात करना भी उनके लिए बेमानी है। गरीबी का दंश उन्हें हर दिन मौत का कुआं बन चुकी खदानों में ले जाने को बाध्य कर देता है जबकि वे जानते हैं कि शाम उनकी घर वापसी नहीं भी हो सकती है। उत्तर प्रदेश के आदिवासी बहुल जनपद सोनभद्र के बिल्ली-मारकुंडी खनन क्षेत्र में ‘गरीबी और मौत’ के खनन का ऐसा उदाहरण हर दिन देखने को मिलता है लेकिन वर्ष 2012 में 27 फरवरी को करीब एक दर्जन मजदूरों की ‘संगठित हत्या’ सबसे व्यथित करने वाली है। 

उस घटना के करीब तीन साल होने को हैं लेकिन जिला प्रशासन की ओर से मुख्य विकास अधिकारी को सौंपी गई मजिस्ट्रेटियल जांच अभी पूरी नहीं हुई है। इससे मृतकों के परिजनों को सरकार की ओर से निर्धारित मुआवजा भी नहीं मिला है। उनके हत्यारे कानून के शिकंजे से बाहर हैं वो अलग। सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि हादसे वाली उक्त खदान समेत सभी जानलेवा खदानों में अवैध खनन का गोरखधंधा जिला प्रशासन के सहयोग से जारी है। इससे आप अंदाजा लगा सकते हैं कि वर्तमान परिवेश में किसका खनन हो रहा है, खनिज का या फिर गरीबी और मौत का। 

वास्तव में पूंजी और सत्ता केंद्रित सरकारें अप्रत्यक्ष रूप से गरीबी और मौत के खनन की नीतियां तैयार कर रही हैं क्योंकि वे कानूनों के होते हुए भी बार-बार नीतियों का हवाला देकर अवैध खनन और उससे होनी वाली मौत को अमली जामा पहनाते जा रहे हैं। उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा बनाई गई खनिज (परिहार) नियमावली और बार-बार उसमें हुए संशोधनों से यही पता चलता है। अवैध खननकर्ताओं के लिए कोई भी कठोर प्रावधान, खासकर संगीन धाराओं में आपराधिक मुकदमों के तहत कार्रवाई करने का कोई प्रावधान नहीं है। 

इसका नजीता यह हुआ है कि उत्तर प्रदेश के विभिन्न क्षेत्रों से अवैध खनन से मरने वाले मजदूरों की मौत की खबरें हर दिन मीडिया की सुर्खियां बटोर रही हैं लेकिन इसके लिए जिम्मेदार सफेदपोशों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई या सजा की खबर मेरे जेहन में अभी तक जगह नहीं बना पाई है। क्या डॉ. भीमराव अंबेडकर, डॉ. राम मनोहर लोहिया और महात्मा गांधी ने समाज के नीचले पायदान पर जीवन व्यतीत करने वालों के लिए यहीं सपना देखा था? उन्होंने हरगिज ऐसी कल्पना नहीं की होगी लेकिन उनके विचारों का अनुसरण करने की दुहाई देने वाले तथाकथित राजनेता और सफेदपोश इसे हकीकत में तब्दील कर चुके हैं। इन हालात में सामाजिक न्याय और प्रगतिशील सोच वाले लोगों को एकजुट होकर ‘गरीबी और मौत’ के खनन के खिलाफ ईमानदारी से बिगुल फूंकने की जरूरत है ताकि खनन हादसों में मरने वाले हर नागरिक को न्याय मिल सके।


सोमवार, 9 फ़रवरी 2015

पर्यावरण स्वच्छता प्रमाण-पत्र के बिना उत्खनन अवैध

उत्तर प्रदेश उप-खनिज (परिहार) नियमावली-1963 के तहत उत्खनन करने के लिए निर्धारित नियम एवं शर्तेः
(1) खनन पट्टा धारक को भारत सरकार के पर्यावरण एवं वन मंत्रालय द्वारा 14 सितंबर, 2006 को निर्गत अधिसूचना के प्रावधानों के अंतर्गत ʻपर्यावरण स्वच्छता प्रमाण-पत्रʼ प्राप्त करना अनिवार्य होगा।
(2) खनन कार्य स्वीकृत क्षेत्र के अंतर्गत किया जाएगा।
(3) स्वीकृत क्षेत्र में सीमा चिन्ह मानक के अनुसार बनाया जायेगा तथा सदैव उसका अनुरक्षण किया जाएगा।
(4) बालू या मोरम या बजरी या बोल्डर या इनमें से कोई भी, जो मिली-जुली अवस्था में नदी तल में अन्य रूप से पाया जाता है, के संबंध में खनन संक्रियायें खनन योजना के अनुसार, जिसमें क्षेत्रों के भूमि उद्धार एवं पुनर्वास पहलू सम्मिलित होंगे और भूतत्व एवं खनिकर्म विभाग द्वारा अनुमोदित खनन योजना एवं खान बन्दी के उत्तरोत्तर योजना के अनुमोदन के अनुसार ही किये जाएंगे।
(5) नदी तल में पट्टाधारक 03 मीटर की गहराई अथवा जलस्तर, दोनों में से जो कम से कम हो, से अधिक गहराई में खनन संक्रियायें नहीं करेगा और जिलाधिकारी द्वारा चिन्हित सुरक्षा क्षेत्र में खनन नहीं किया जाएगा।
(6)पट्टाधारक द्वारा अपने स्वीकृत क्षेत्र के अंतर्गत साइन बोर्ड, जिनमें स्वीकृत क्षेत्र का पूर्ण विवरण अंकित हो, लगाया जाएगा।
(7) शासनादेश के अनुसार सक्षम अधिकारी की अनुमति प्राप्त किये बिना खनन कार्य एवं लोडिंग में मशीन का प्रयोग नहीं किया जाएगा।
(8) खनन कार्य से वन, पर्यावरण, नदी की प्राकृतिक धारा एवं किनारों को कोई क्षति नहीं पहुंचाई जाएगी।
(9) स्वीकृत खनन पट्टा क्षेत्र से खनन कर निकासी किये गये खनिज का परिवहन सिर्फ जिला खनन कार्यालय द्वारा जारी प्रपत्र एम.एम.-11 द्वारा ही किया जाएगा। इसके अतिरिक्त किसी अन्य प्रपत्र का उपयोग किये जाने अथवा स्वीकृत क्षेत्र से बाहर खनन कार्य करते हुए पाये जाने एवं दोष सिद्ध होने पर पट्टा निरस्त किया जा सकता है।
(10) खनन कार्य करने के दौरान यदि कोई अन्य खनिज या उप-खनिज पाया जाता है तो उसकी सूचना पट्टाधारक तत्काल जिला खनन कार्यालय तथा भूतत्व एवं खनिकर्म विभाग, उत्तर प्रदेश के क्षेत्रीय कार्यालय एवं निदेशालय को देगा।
(11) खनन पट्टा स्वीकृति के पश्चात् भविष्य में वन विभाग या किसी अन्य विभाग द्वारा शर्तों के विपरीत कार्य करने के कारण आपत्ति किये जाने पर उत्तर प्रदेश उप-खनिज(परिहार) नियमावली-1963 के नियम-60 के अधीन युक्तियुक्त अवसर दिये जाने के पश्चात् खनन पट्टा निरस्त किया जा सकता है।
(12) पट्टाधारक द्वारा खनन क्षेत्र तक पहुंच मार्ग स्वयं के व्यय पर बनाया जाएगा। यदि खनिजों के परिवहन हेतु किसी काश्तकार की भूमि से होकर रास्ते का निर्माण किया जाता है तो संबंधित काश्तकार की लिखित सहमति संबंधी अभिलेख जिला खनन (क्वैरी) कार्यालय में प्रस्तुत करना अनिवार्य होगा। रास्ते के निर्माण में होने वाले व्यय के लिए राज्य सरकार का कोई उत्तरदायित्व नहीं होगा।
(13) खनन स्थल से निकाल गये खनिज पदार्थ का परिवहन वन विभाग की लिखित सहमति के बिना वन मार्ग से नहीं किया जाएगा। इसके लिए नियमानुसार सक्षम अधिकारी की अनुमति प्राप्त करना अनिवार्य है।
(14) स्वीकृत खनन पट्टा क्षेत्र की परिधि के बाहर कोई अवैध खनन पाये जाने पर उत्तर प्रदेश उप-खनिज(परिहार) नियमावली-1963 के नियम-60 के अधीन युक्तियुक्त अवसर दिये जाने के पश्चात् खनन पट्टा निरस्त किया जा सकता है।
(15) पट्टाधारक को सुसंगत नियमों एवं शासनादेशों का पालन करना होगा।
(16) पट्टा आबंटन संबंधी समस्त कार्यवाही शासन/निदेशक, भूतत्व एवं खनिकर्म निदेशालय, उ.प्र. द्वारा जारी आदेशों/निर्देशों के अधीन होगी।
(17)मा. उच्च न्यायालय/सर्वोच्च न्यायालय द्वारा कोई अन्यथा आदेश पारित किया जाता है तो पट्टाधारक ऐसे आदेशों का पालन करने हेतु बाध्य होगा। ऐसे आदेशों के अनुक्रम में खनन पट्टा प्रतिबंधित अथवा निरस्त किया जा सकता है।
(18) खनन पट्टा आबंटन के लिए आवेदन करना वाला व्यक्ति पूर्व में अवैध खनन की गतिविधियों में संलिप्त न रहा हो और न ही उसे अवैध खनन के अपराध के लिए सक्षम न्यायालय द्वारा दण्डित किया गाय हो।
(19) राजकीय विभागों द्वारा आवेदक के विरुद्ध कोई कार्यवाही की संस्तुति नहीं की गई है।

(20) आवेदक का कोई आपराधिक इतिहास नहीं हो। 

शनिवार, 24 जनवरी 2015

यहां बिकता है 13 करोड़ महीने की ‘वीआईपी’ में ‘संगठित हत्या’ का लाइसेंस

अवैध खननः एक महीने में ‘वीआईपी’ के रूप में जिला खनिज विभाग, सोनभद्र द्वारा वसूल की जाने वाली धनराशि की गणना करें तो यह 14.70 करोड़ रुपये के करीब होती है... 

reported by Shiv Das Prajapati

त्तर प्रदेश के आदिवासी बहुल जनपद सोनभद्र में हर महीने तेरह करोड़ रुपये से ज्यादा की 'वीआईपी' वसूली में जिला खनिज विभाग खनन माफियाओं को मजदूरों, आदिवासियों और दलितों की 'संगठित हत्या' का लाइसेंस बेचता है। ऐसा हम नहीं कह रहे, बल्कि यह सोनभद्र के नागरिकों में अवैध खनन पर हो रही विभिन्न चर्चाओं में सामने आया है। हालांकि इसमें कितनी सच्चाई है, यह जिला प्रशासन के नुमाइंदे ही जानें लेकिन जो बातें सामने आई हैं, उससे इंकार भी नहीं किया जा सकता है। खनन माफियाओं और जिला खनिज विभाग के अधिकारियों एवं कर्मचारियों के नचदीकी सूत्रों की बातों पर यकीन करें तो वीआईपी के नाम पर जिला खनिज विभाग द्वारा की जा रही अवैध वसूली के दावें हैरत करने वाले हैं। 

उत्तर प्रदेश खनिज (अवैध खनन, परिवहन एवं भण्डारण का निवारण) नियमावली-2002 के तहत खनिजों के परिवहन के लिए एमएम-11 परमिट या अभिवहन पास जरूरी होता है। हल्के भारी वाहन के लिए जारी एक एमएम-11 परमिट पर अधिकतम 9.50 घन मीटर या करीब 13 टन खनिज पदार्थ का परिवहन किया जा सकता है जबकि ट्रक या अन्य भारी वाहन के लिए एक एमएम-11 परमिट पर अधिकतम 19.50 घनमीटर या करीब 26 टन खनिज पदार्थ का परिवहन हो सकता है। किसी वाहन के जरिए इससे अधिक खनिज पदार्थ की ढुलाई अवैध परिवहन (ओवर लोडिंग) की श्रेणी में आता है और उसके मालिक के खिलाफ कानूनी कार्रवाई हो सकती है। 

उत्तर प्रदेश उप-खनिज (परिहार) (चौंतिसवां संशोधन) नियमावली-2012 की प्रथम अनुसूची के नियम-21 के तहत डोलो स्टोन (गिट्टी) के परिवहन की दर 102 रुपये प्रति घन मीटर निर्धारित है जबकि डोलो स्टोन (डस्ट) के परिवहन की दर 33 रुपये प्रति घन मीटर है। इस तरह 19.50 घन मीटर या करीब 26 टन डोलो स्टोन (गिट्टी) के परिवहन के लिए एक एमएम-11 परमिट की कुल सरकारी कीमत 2,490 रुपये के करीब है जो रॉयल्टी के रूप में सरकारी कोष में जमा होती है। इसमें वाणिज्य कर (13.5 प्रतिशत बिक्री कर और 1.5 प्रतिशत सेस) समेत शक्तिनगर विशेष क्षेत्र प्राधिकरण (साडा) के लिए 9.0 रुपये प्रति घनमीटर की दर से वसूले जाने वाला शुल्क भी शामिल है। 

लेकिन, विश्वसनीय सूत्रों की मानें तो 19.50 घन मीटर डोलो स्टोन (गिट्टी) के परिवहन के लिए आवश्यक एक एमएम-11 परमिट पट्टाधारकों को जिला खनिज विभाग की ओर से 6,000 रुपये की दर से बेची जाती है जो बाजार में 6050 रुपये में उपलब्ध होती है। जिला खनिज विभाग के नुमाइंदों द्वारा एक एमएम-11 परमिट पर पट्टाधारकों से वसूल की जाने वाली अतिरिक्त धनराशि (करीब 3,500) वीआईपीकहलाती है। 

इस तरह जिला खनिज विभाग के नुमाइंदों द्वारा वीआईपीके रूप में खनन पट्टाधारकों से एक गड्डी (100 प्रति) एमएम-11 परमिट के लिए एकमुश्त 3.50 लाख रुपये से लेकर 4.0 लाख रुपये तक की अतिरिक्त धनराशि वसूल की जाती है।

इसी तरह उक्त नियमावली के तहत बालू के परिवहन की दर 75 रुपये प्रति घनमीटर है। 19.50 घन मीटर बालू के परिवहन के लिए एक एमएम-11 परमिट की कुल सरकारी कीमत 1884 रुपये के करीब है जो रॉयल्टी के रूप में सरकारी कोष में जमा होती है। इसमें वाणिज्य कर (13.5 प्रतिशत बिक्री कर और 1.5 प्रतिशत सेस) समेत शक्तिनगर विशेष क्षेत्र प्राधिकरण (साडा) के लिए 9.0 रुपये प्रति घनमीटर की दर से वसूले जाने वाला शुल्क भी शामिल है। लेकिन, सूत्रों की मानें तो 19.50 घन मीटर बालू के परिवहन के लिए जरूरी एक एमएम-11 परमिट पट्टाधारकों को जिला खनिज विभाग से 5,900 रुपये की दर से बेचा जाता है। यह बाजार में 6,000 रुपये में उपलब्ध होता है। बालू परिवहन के लिए जिला खनिज विभाग की ओर से जारी की जाने वाली उक्त परमिट पर करीब 4,000 रुपये की वीआईपीवसूल की जाती है। 

सूत्रों की मानें तो इस तरह जिला खनिज विभाग के नुमाइंदों द्वारा 19.50 घनमीटर परिवहन क्षमता वाली एमएम-11 परमिट की एक गड्डी पर एकमुश्त 4.0 लाख रुपये से लेकर 4.5 लाख रुपये की अतिरिक्त धनराशि वीआईपीके रूप में वसूल की जाती है। इसी तरह सैंड स्टोन (गिट्टी) के परिवहन के मामले में भी वीआईपीकी अतिरिक्त वसूली खनन पट्टाधारकों से की जाती है।


जिला खनिज विभाग और जिला परिवहन विभाग के विश्वसनीय सूत्रों की मानें तो सोनभद्र से हर दिन करीब 1400 ट्रकें डोलो स्टोन (गिट्टी)/बालू की ढुलाई करती हैं। इस तरह हर दिन वीआईपीके रूप में 49 लाख रुपये की अतिरिक्त वसूली होती है जिससे बाजार में गिट्टी और बालू की कीमतें आसमान छू रही हैं। अगर एक महीने में वीआईपीके रूप में वसूल की जाने वाली धनराशि की गणना करें तो यह 14.70 करोड़ रुपये के करीब होती है। 

जिला प्रशासन समेत सूबे की सत्ता के गलियारों में मौजूद सूत्रों की बातों पर विश्वास करें तो इस समय सोनभद्र खनिज विभाग से हर महीने ‘वीआईपी’ के रूप में करीब 13 करोड़ रुपये सूबे की राजधानी में मौजूद सत्ता के विश्वसनीय नुमाइंदों के पास जाता है। शेष धनराशि जिला स्तर पर तैनात अधिकारियों, कर्मचारियों के साथ-साथ समाजसेवियों, जनप्रतिनिधियों और पत्रकारों की एक बड़ी लॉबी को मैनेज करने में खर्च होती है। हालांकि इन आरोपों में कितनी सचाई है, यह जिला प्रशासन के नुमाइंदे और उनके आका ही जानें लेकिन सोनभद्र में अवैध खनन के गोरखधंधे को देखकर इनको झुठलाने की कोई वाजिब वजहें भी नहीं हैं। 

इतना ही नहीं, सोनभद्र में परिवहन विभाग के सहयोग से ओवर लोडिंग परिवहन का धंधा भी बखूबी संचालित हो रहा है जिससे राज्य सरकार को हर महीने तीन करोड़ रुपये से ज्यादा की रॉयल्टी का चूना लग रहा है। जनपद के विभिन्न क्रशर प्लांटों से गिट्टी ढोने वाली ट्रकों पर हर दिन पांच घन मीटर ज्यादा गिट्टी लादी जाती है जिससे प्रति ट्रक करीब 635 रुपये की रॉयल्टी की चोरी की जा रही है। 

जिला खनिज विभाग के दावों पर गौर करें तो सोनभद्र के विभिन्न क्रशर प्लांटों से हर दिन करीब एक हजार ट्रकें गिट्टी का परिहन करती हैं। इस तरह एक दिन में 6.35 लाख रुपये की राजस्व चोरी की जा रही है जो महीने में करीब दो करोड़ रुपये होता है। इसके अलावा बालू ढोने वाली ट्रकों पर भी करीब 10 घन मीटर अतिरिक्त बालू लादी जा रही है। इससे प्रति ट्रक 966 रुपये की रॉयल्टी चोरी की जा रही है। 

सूत्रों की मानें तो हर दिन करीब 400 ट्रकें सोनभद्र से बालू का परिवहन करती हैं। इससे हर दिन 3.86 लाख रुपये की राजस्व चोरी की जा रही है जो महीने में 1.15 करोड़ रुपये के करीब होता है। प्रशासनिक सूत्रों की मानें तो रॉयल्टी चोरी और ‘वीआईपी’ में जिला खनिज विभाग के साथ-साथ राजस्व विभाग, परिवहन विभाग, वाणिज्य कर विभाग, वन विभाग और पुलिस प्रशासन के नुमाइंदे शामिल हैं। उनके इस गोरखधंधे में उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड का क्षेत्रीय कार्यालय भी बखूबी साथ दे रहा है जिसकी बदौलत सोनभद्र प्रदूषण के मामले में क्रिटिकल जोन में शामिल हो चुका है।

बॉक्सः


उत्तर प्रदेश उप-खनिज (परिहार) (चौंतिसवां संशोधन) नियमावली-2012 के तहत परिवहन की दरः
सामग्री                                                      दर
डोलो स्टोन                                  102 रुपये प्रति घन मीटर
डोलो स्टोन (डस्ट)                           33 रुपये प्रति घन मीटर
लाइम स्टोन                                 215 रुपये प्रति घन मीटर
सैंड स्टोन                                       72 रुपये प्रति घन मीटर
बालू                                             75 रुपये प्रति घन मीटर


गुरुवार, 15 जनवरी 2015

सामाजिक कार्यकर्ताओं ने अवैध खनन के खिलाफ फूंका बिगुल

जनहित मंच के बैनर तले 18 दिनों तक दिया धरना। जिला प्रशासन की बरसी मनाकर धरने को किया स्थगित।

वनांचल एक्सप्रेस ब्यूरो

सोनभद्र। शासन-प्रशासन और खनन माफियाओं के गठजोड़ से उत्तर प्रदेश में धड़ल्ले से संचालित हो रहे अवैध खनन के कारण मरने वाले मजदूरों पर केंद्रित ‘वनांचल एक्सप्रेस’ की रिपोर्ट में उठाए गए सवालों को लेकर ‘जनहित मंच’ के संयोजक संतोष सिंह चंदेल की अगुआई में दर्जनों सामाजिक कार्यकर्ता गत 28 दिसंबर को रॉबर्ट्सगंज तहसील परिसर में अनिश्चित कालीन धरने पर बैठ गए। धरने के दौरान उन्होंने जिला प्रशासन समेत उत्तर प्रदेश सरकार से सोनभद्र में वीआईपी के नाम पर हो रही अवैध वसूली पर जवाब मांगा। साथ ही उन्होंने वर्ष 2012 में 27 फरवरी को घटित बिल्ली-मारकुंडी खनन हादसे की मजिस्ट्रेटियल जांच रिपोर्ट पूरी नहीं होने और उसमें मरने वाले मजदूरों को मुआवजा नहीं मिलने का कारण पूछा।

सामाजिक कार्यकर्ताओं ने जिला प्रशासन से सोन नदी की अविरल धारा को बांधने, सोनभद्र में हो रहे अवैध खनन पर अंकुश नहीं लगने, खान सुरक्षा निदेशालय द्वारा जारी सुरक्षा मानकों को खनन क्षेत्र में लागू नहीं किए जाने, वन भूमि और राजस्व भूमि का सीमांकन हुए बिना बिल्ली-मारकुंडी खनन क्षेत्र में अवैध खनन होने, मौत का कुआं बन चुकी पत्थर की खदानों में अवैध खनन होने, ओबरा खनन क्षेत्र में पारेषण लाइन (टॉवर) और रेलवे लाइन के पास अवैध खनन होने, खनन क्षेत्र में कार्यरत मजदूरों का पंजीकरण और बीमा नहीं होने, न्यायालय की रोक के बावजूद गिट्टी, बालू और मोरम से लदी ओवरलोड वाहनों के परिवहन आदि का कारण मांगा। सामाजिक कार्यकर्ताओं ने पर्यावरण मंत्रालय की एनओसी के बिना सोनभद्र की 101 पत्थर की खदानों में अवैध खनन, खनन क्षेत्र में अवैध विस्फोटकों की आपूर्ति और मानक के विपरीत उनका प्रयोग किए जाने आदि मुद्दों पर भी राज्य सरकार से श्वेत-पत्र जारी करने की मांग की। 

संतोष सिंह चंदेल ने जिला प्रशासन पर अवैध खनन कराने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि बड़गवां की आराजी संख्या-2368/1 और कोटा की आराजी संख्या-4043क, 4043ख, 4044, 4045, 4046, 3984ग और 3984घ पर स्वीकृत खनन पट्टों की अवधि समाप्त हो चुकी है लेकिन इन पट्टों की एमएम-11 परमिट पर खनिजों को परिवहन अब भी हो रहा है। अब तक हजारों एमएम-11 परमिट जारी हो चुका है लेकिन सूचना का अधिकार अधिनियम के तहत मिली जानकारी में उक्त खनन पट्टों पर गेहूं और बैगन बोने की बात कही गई है। उन्होंने पूरे मामले की उच्च स्तरीय जांच कराने की मांग की।


सामाजिक कार्यकर्ता रामधीन पासवान, नागेश्वर चेरो, प्रेम कुमार, राजकुमारी देवी, संतोष त्रिनेत्र, राम नारायण सिंह, कमल यादव, राजबहोर सिंह, सियाराम जायसवाल, रवि केशरी, रमाकांत चेरो, राजेन्दर वनवासी, अतवारू, पुनवासी, होसिला, मुन्ना, लाल बिहारी, जयराम, कैलाश, प्रमोद, डब्बू समेत दर्जनों लोग धरने पर बैठे रहे। पीयूसीएल के प्रदेश संगठन संचिव विकास शाक्य समेत अन्य कई अधिवक्ताओं ने अवैध खनन के खिलाफ चल रहे धरने का समर्थन किया। सामाजिक कार्यकर्ताओं ने वहां लगातार 17 दिनों तक धरना दिया लेकिन जिला प्रशासन का कोई भी अधिकारी उनकी समस्याओं को सुनने उनके पास नहीं गया। धरने के 18वें दिन चंदेल ने जिला प्रशासन की बरसी मनाते हुए अपना मुंठन कराकर धरने को स्थगित किया। 

सामाजिक कार्यकर्ताओं ने अवैध खनन के खिलाफ इस अभियान के समर्थन में डेढ़ लाख लोगों का हस्ताक्षर लेने और उसके आधार पर उच्च स्तरीय जांच कराने की बात कही। गौरतलब है कि नई दिल्ली से प्रकाशित हिन्दी साप्ताहिक समाचार-पत्र ‘वनांचल एक्सप्रेस’ ने 22 दिसंबर-28 दिसंबर, 2014 के अंक में ‘मजदूरों की हत्या का राज दफन’ शीर्षक से खबर प्रकाशित की थी।  

सोमवार, 5 जनवरी 2015

खनन माफियाओं ने जिला प्रशासन को दिखाया ठेंगा, जमकर किया अवैध खनन

जिला प्रशासन की जांच में मिला 1820 घन मीटर अवैध खनन, कार्रवाई के निर्देश।
वनांचल एक्सप्रेस ब्यूरो
सोनभद्र। जिले में धड़ल्ले से हो रहे अवैध खनन के मामले में जिलाधिकारी दिनेश कुमार सिंह ने पिछले दिनों खान अधिकारी को दोषी पट्टाधारकों के खिलाफ कार्रवाई करने का निर्देश दिया। साथ ही उन्होंने फर्जी तरीके से रजामंदी कागजात पेश करने के मामले में शामिल व्यक्तियों और खनन पट्टाधारक अब्दुल सत्तार तथा श्रीमती रूपा सिंह के प्रतिनिधि आशीष सिंह के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की सुसंगत धाराओं के तहत प्राथमिकी दर्ज कराने का निर्देश दिया।
जिला सूचना विभाग की ओर से जारी विज्ञप्ति में कहा गया है कि बिल्ली-मारकुण्डी गांव के आराजी संख्या-1965 मि, हाल संख्या-4476 (रकवा- करीब एक एकड़) के सम्बन्ध में पिछले दिनों जिलाधिकारी को शिकायत मिली थी। जांच में सामने आया है कि खनन पट्टाधारक ने खान सुरक्षा अधिनियम-1952 की धारा-22(3), खान एवं खनिज (विनियमन एवं विकास) अधिनियम-1957 की धारा-4 एवं 21 तथा उ.प्र. उप-खनिज (परिहार) नियमावली-1963 की धारा-3, 57 एवं 70 का उल्लंघन किया है। जांच रिपोर्ट में सामने आया है कि पट्टाधारकों ने स्वीकृत खनन क्षेत्र के बाहर एक हजार 820 घन मीटर अवैध खनन किया है। साथ ही उन्होंने सुन्दर मिश्रा के स्टोन क्रसर प्लांट पर खनिजों का अवैध भण्डारण भी किया। इससे राज्य सरकार को राजस्व हानि हुई है।
जिलाधिकारी ने उक्त खनन पट्टाधारकों की गतिविधियों से राज्य सरकार को हुई राजस्व हानि की क्षतिपूर्ति के लिए उ.प्र. उप खनिज (परिहार) नियमावली-1963 की सुसंगत धाराओं के तहत उनके खिलाफ कार्रवाई करने का आदेश खान अधिकारी को दिया है। साथ ही उन्होंने फर्जी तरीके से रजामन्दी के कागजात पेश करने पर दुरभि संधि में संलिप्त व्यक्तियों और पट्टाधारक अब्दुल सत्तार एवं रूपा सिंह के प्रतिनिधि आशीष सिंह के खिलाफ भारतीय दण्ड संहिता की सुसंगत धाराओं के अन्तर्गत एफआईआर दर्ज कराने का निर्देश खान अधिकारी को दिया है।

वहीं जिलाधिकारी ने मालती देवी के नाम आबंटित खनन पट्टे के सम्बन्ध में प्राप्त हो रही शिकायतों की जांच करने का निर्देश खान अधिकारी को दिया है। सूचना विभाग की मानें तो मालती देवी के नाम स्वीकृत पट्टे की वास्तविक स्थिति, उसके सापेक्ष संबंधित पट्टे में उपलब्ध खनन सामग्री, खनन किये गये क्षेत्र के सापेक्ष जारी रवन्ना की स्थिति समेत विभिन्न पहलुओं की जांच की जाएगी। अगर जांच में शिकायत सही मिलती है तो नियमानुसार पट्टाधारक के खिलाफ कार्रवाई करने का निर्देश भी जिलाधिकारी को दिया गया है।