रविवार, 15 अक्तूबर 2017

पटना में PM पर और काशी में CM पर फूंटा छात्रों का गुस्सा, कहीं दिखाये काले झंडे तो कहीं निकाला प्रतिरोध मार्च

विश्वविद्यालयों के भगवाकरण और उत्पीड़न के विरोध में छात्रों का प्रदर्शन।
वनांचल न्यूज़ नेटवर्क
पटना/वाराणसी। देश में विश्वविद्यालयों के भगवाकरण और उत्पीड़न के खिलाफ छात्रों का गुस्सा शनिवार को सड़कों पर फूंटा। छात्रों ने जहां पटना में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को काले झंडे दिखाए और पुलिस की लाठियां खाईं, वहीं उनके संसदीय क्षेत्र काशी में प्रतिरोध मार्च निकाला और सभा की।

बिहार के की राजधानी पटना स्थित पटना विश्वविद्यालय में शनिवार को शताब्दी समारोह का आयोजन किया गया था। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी समारोह में शिरकत करने जा रहे थे। तभी छात्र संगठन एआईएसएफ और आइसा से जुड़े दर्जनों छात्रों ने प्रधानमंत्री को काले झंडे दिखाये। इस दौरान उन्होंने 'गो बैक मोदी' के नारे भी लगाए। तुरंत हरकत में आई पुलिस ने छात्रों पर लाठियां भांजी जिसमें राकेश, पुष्पेंद्र, मुख्तार और रामजी यादव समेत कई छात्र घायल हो गए। पुलिस छात्रों को हिरासत में ले ली और थाने ले गई। छात्रों का आरोप है कि पुलिस ने थाने में उन्हें बुरी तरह से मारा-पीटा जिससे उन्हें गंभीर चोटें आई हैं। हालांकि बाद में पुलिस ने छात्रों को रिहा कर दिया। छात्र प्रधानमंत्री से पटना विश्वविद्यालय को केंद्रीय विश्वविद्यालय का दर्जा दिये जाने, विश्वविद्यालय में रिक्त पड़े शिक्षकों के पद को तुरंत भरे जाने की मांग कर रहे थे।


उधर, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी (जिसे काशी के नाम से भी जाना जाता है।) में छात्रों ने इलाहाबाद केंद्रीय विश्वविद्यालय के छात्र रितेश विद्यार्थी और आदर्श की गिरफ्तारी और उत्पीड़न के खिलाफ प्रतिरोध मार्च निकाला और सभा की। छात्रों ने केंद्र की मोदी सरकार और राज्य की योगी सरकार पर शिक्षण संस्थाओं का भगवाकरण करने और कैंपसों में प्रगतिशील विचार वाले छात्रों का उत्पीड़न करने का आरोप लगाया। सभा के दौरान वक्ताओं ने साफ कहा कि केंद्र और राज्य की सरकारें उच्च शिक्षण संस्थाओं का भगवाकरण कर रही हैं। इसके लिए वे प्रगतिशील विचार वाले छात्रों का उत्पीड़न कर रही हैं। उन्हें गिरफ्तार कर जेल भेज रही हैं जिसका उदाहरण इलाहाबाद केंद्रीय विश्वविद्यालय के छात्र और इंकलाबी छात्र मोर्चा के साथी रितेश विद्यार्थी और आदर्श की गिरफ्तारी है। हालांकि पुलिस ने बाद में आदर्श को छोड़ दिया जबकि रितेश विद्यार्थी को फर्जी मुकदमे में फंसाकर जेल भेज दिया। उन्होंने सरकारों को चेतावनी दी कि अगर जल्द से जल्द रितेश को रिहा नहीं किया गया तो छात्र पूरे देश में सरकार की नीतियों के खिलाफ प्रदर्शन करेंगे। 

प्रदर्शन करने वालों में स्टुडेंट फॉर चेंज (एसएफसी), भगत सिंह छात्र मोर्चा (बीसीएम), आल इंडिया स्टुडेंट एसोसिएशन (आइसा), एससी/एसटी/ओबीसी छात्र संघर्ष समिति और भगतसिंह-अंबेडकर विचार मंच से जुड़े छात्र एवं सामाजिक कार्यकर्ता शामिल रहे। बता दें कि पुलिस ने गत 11 अक्टूबर की देर रात इलाहाबाद केंद्रीय विश्वविद्यालय के छात्र रितेश विद्यार्थी और आदर्श को हिरासत में ले लिया था। बाद में आदर्श को छोड़ दिया लेकिन रितेश को जेल भेज दिया जो अभी भी नैनी जेल में बंद है। 
  

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