मंगलवार, 21 अप्रैल 2015

कनहर सिंचाई परियोजना निर्माण के समर्थकों ने जांच दल को बनाया बंधक

स्थानीय लोग दो खेमों में बंटे। परियोजना निर्माण और विरोध में निकल रहे जुलूस। हो रही पंचायत।
जिला प्रशासन की गोलीबारी में सुंदरी गांव निवासी विस्थापित अकलू चेरो गंभीर रूप से घायल।

written by शिव दास प्रजापति

सोनभद्र। उत्तर प्रदेश सरकार की महत्वांकाक्षी कनहर सिंचाई परियोजना के निर्माण को लेकर मचा घमासान थमने का नाम नहीं ले रहा है। परियोजना निर्माण समर्थकों ने सोमवार की सुबह दुद्धी सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में दिल्ली से आए स्वतंत्र जांच दल को करीब दो घंटे तक बंधक बनाये रखा। पुलिस और प्रशासनिक अधिकारियों ने हस्तक्षेप कर जांच दल के प्रतिनिधियों को वहां से वाराणसी के लिए रवाना किया।

गौरतलब है कि सोनभद्र के आदिवासी बहुल दुद्धी तहसील के अमवार क्षेत्र में निर्माणाधीन कनहर सिंचाई परियोजना को लेकर विस्थापित और जिला प्रशासन आमने-सामने आ गए हैं। गत 14 अप्रैल को जिला प्रशासन ने करीब दो महीने से परियोजना स्थल पर धरना दे रहे विस्थापितों और उनके समर्थकों पर गोलीबारी की थी। पुलिस का आरोप है कि विस्थापितों और उनके समर्थकों ने पहले पुलिसकर्मियों और अधिकारियों पर पत्थरबाजी की थी। बचाव में पुलिस प्रशासन ने गोली चलाई। इसमें सुंदरी गांव निवासी अकलू चेरो को गोली लग गई जिससे वह गंभीर रूप से घायल हो गया। वाराणसी स्थित बीएचयू अस्पताल में उसका इलाज चल रहा है। इसके बावजूद विस्थापित और उनके समर्थक धरनास्थल पर डटे रहे। गत शनिवार को पुलिस ने परियोजना स्थल से विस्थापितों को खदेड़ने के लिए उनपर लाठी चार्ज किया और रबर की गोलियों के साथ आंसू गैस के गोले दागे। इसके बाद पुलिस प्रशासन विस्थापितों और उनके समर्थकों को परियोजना स्थल से करीब दो किलोमीटर दूरी तक खदेड़ने में कामयाब हुआ। इसमें 17 विस्थापितों समेत दोनों पक्षों के करीब दो दर्जन लोग घायल हो गए। उनका इलाज दुद्धी सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में चल रहा है। 

रविवार को दिल्ली से सोनभद्र पहुंचे स्वतंत्र पत्रकार अभिषेक श्रीवास्तव, महिला अधिकारों के लिए कार्य करने वाली सामाजिक कार्यकत्री पूर्णिमा गुप्ता, ग्रीनपीस इंडिया की पदाधिकारी प्रिया पिल्लई और भाकपा (माले) की महिला इकाई एपवा की अध्यक्ष कविता कृष्णन आदि समेत करीब आधा दर्जन सदस्यों वाले जांच दल को जिला प्रशासन ने शाम करीब आठ बजे बघाड़ू में हिरासत में ले लिया और महिला प्रतिनिधियों की साथ बदतमिजी की। कविता कृष्णन के आरोपों की मानें तो खुद को मजिस्ट्रेट बताने वाले सादी वर्दीधारी एक अधिकारी ने उन्हें बेइज्जत करने की धमकी दी और नक्सली तक कहा। वहीं जिला प्रशासन ने महिला प्रतिनिधियों के साथ किसी भी प्रकार की बदतमिजी होने से इंकार किया। फिलहाल जिला प्रशासन ने उन्हें सुरक्षित दुद्धी स्थित एक निजी होटल तक पहुंचाया जहां उन्होंने रात गुजारी। 

सोमवार की सुबह जांच दल के लोग परियोजना स्थल पर हुई गोलीबारी में घायल लोगों का बयान लेने दुद्धी स्थित सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र पहुंचे। जहां कनहर सिंचाई परियोजना निर्माण समर्थकों ने उन्हें बंधक बना लिया। दुद्धी तहसील के उप-जिलाधिकारी की अगुआई में जिला प्रशासन ने मोर्चा संभाला और करीब दो घंटे बाद उन्हें सुरक्षित वहां से निकालने में कामयाबी पाई।

जांच दल के सदस्य एवं पत्रकार अभिषेक श्रीवास्तव ने कहा कि लोगों से पूछताछ में पता चला कि दिनेश मौर्य नामक सिपाही परियोजना निर्माण समर्थकों को लेकर यहां आया था। साथ ही कुछ लोग धमकी दे रहे थे कल शाम आपकी थी लेकिन आज का दिन हमारा है।

वहीं जिलाधिकारी संजय कुमार ने फोन पर हुई बातचीत में कहा कि किसी के साथ कोई भी अभद्रता नहीं हुई है। सभी लोगों को सुरक्षित वहां से निकालने का निर्देश दे दिया गया था और वे लोग सुरक्षित वाराणसी के लिए रवाना हो गए हैं। फिलहाल परियोजना स्थल पर धारा-144 लागू है। उन लोगों को भी वहां नहीं जाना चाहिए था। कोई भी सच्चाई छिपाई नहीं जा रही है। 

उधर, नर्मदा बचाओ आंदोलन की नेता मेधा पाटेकर ने दिल्ली से आई जांच टीम को कनहर सिंचाई परियोजना क्षेत्र के विस्थापितों से मिलने जाने से रोकने और हिरासत में लिये जाने को संविधान विरोधी बताया है। फोन पर हुई बातचीत में उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार समेत विभिन्न राज्य सरकारें विस्थापितों की आवाज दबाने के लिए संविधान विरोधी कदमें उठा रही हैं। कनहर सिंचाई परियोजना के विस्थापितों पर गोली चलाने की घटना की जांच करने पहुंची जांच दल के साथ बदतमिजी की घटना निंदनीय है। जल्द ही मैं वहां की दौरा करुंगी और विस्थापितों को उनका हक दिलाने के लिए आवाज उठाया जाएगा।

ऑल इंडिया पीपुल्स फ्रंट (आईपीएफ) के संयोजक अखिलेंद्र प्रताप सिंह ने कहा कि कनहर सिंचाई परियोजना के विस्थापितों को भूमि अधिग्रहण कानून-2013 के तहत मुआवजा दिया जाना चाहिए। साथ ही उस कानून के तहत ही उनका पुनर्वास होना चाहिए। अगर ऐसा नहीं होता है तो सिंदुरी, भिसुर समेत करीब डेढ़ दर्जन गांवों के लोगों को विस्थापित नहीं किया जाना चाहिए। वैसे भी उस इलाके में पानी की समस्या है। इसका समाधान जिला प्रशासन को संवैधानिक तरीके से करना चाहिए, न कि गैर-संवैधानिक तरीके से।

बता दें कि कनहर सिंचाई परियोजना की शुरुआत छह अक्टूबर, 1976 को हुई थी। 1980 तक कुछ लोगों को मुआवजा भी दिया गया था लेकिन उसके बाद सियासी कारणों की वजह से परियोजना का निर्माण परवान नहीं चढ़ पाया। गत दिसंबर महीने में इसके निर्माण की कवायद शुरू हुई जिसके बाद से ही विस्थापित और जिला प्रशासन समेत स्थानीय लोग दो धड़ों में बंटे हैं और अभी भी वहां तनाव की स्थिति बनी हुई है। रविवार को सैकड़ों लोगों ने कनहर सिंचाई परियोजना के निर्माण के समर्थन में जुलूस निकाला और पंयायत बैठाई तो सैकड़ों लोगों ने कनहर नदी बचाओ और विस्थापितों के समर्थन में विरोध-प्रदर्शन को अंजाम दिया। फिलहाल विस्थापित परिवार अभी भी परियोजना स्थल के चारों तरफ डटे हुए हैं। 

शांति व्यवस्था के लिए छह मजिस्ट्रेट नियुक्त

सोनभद्र। जिलाधिकारी संजय कुमार ने कनहर सिंचाई परियोजना स्थल पर शांति व्यवस्था बनाये रखने के लिए छह विशेष कार्यपालक मजिस्टेट की तैनाती की है। इनमें डीएफओ ओबरा, उपश्रमायुक्त पिपरी, भूमि संरक्षण अधिकारी चोपन, बेसिक शिक्षा अधिकारी, जिला पंचायत अधिकारी और अधिशासी अभियंता लघु सिंचाई शामिल हैं। जिलाधिकारी ने इन्हें मजिस्ट्रेट की शक्तियां प्रदान करते हुए तत्काल प्रभाव से कनहर सिंचाई परियोजना क्षेत्र में शांति व्यवस्था कायम करने का निर्देश जारी किया है।


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